संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023, लोकसभा में पेश किया गया, जिसका उद्देश्य जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में चार समुदायों को शामिल करना था। इस विकास ने क्षेत्र के विभिन्न समुदायों के बीच रुचि और आंदोलन दोनों पैदा किया है।गड्डा ब्राह्मण (Gadda Brahmin),” “कोली (Koli),” “पद्दारी जनजाति (Paddari Tribe),” और “पहाड़ी जातीय समूह (Pahari Ethnic Group)” को शामिल करने के प्रस्तावित प्रस्ताव ने आरक्षण लाभों के वितरण के संबंध में आशंकाएँ उत्पन्न कर दी हैं।
ST सूची में शामिल करने की प्रक्रिया और मानदंड
- अनुसूचित सूची में शामिल करने के लिये मानदंड: यह निर्धारित करना कि कोई समुदाय अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किये जाने के योग्य है या नहीं, कई मानदंडों पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
- नृजातीयता संबंधी लक्षण (Ethnographic Features): इस समुदाय के विशिष्ट और पहचाने जाने योग्य नृजातीयता संबंधी लक्षणों को इसकी जनजातीय पहचान स्थापित करने के लिये माना जाता है।
- पारंपरिक विशेषताएँ: जनजातीय संस्कृति के प्रति समुदाय की प्रतिबद्धता का आकलन करने के लिये पारंपरिक प्रथाओं, रीति-रिवाज़ों और जीवनशैली की जाँच की जाती है।
- विशिष्ट संस्कृति: एक अनोखी और विशिष्ट संस्कृति की उपस्थिति जो समुदाय को अन्य समूहों से अलग करती है।
- भौगोलिक अलगाव: विशिष्ट क्षेत्रों में इसकी ऐतिहासिक और निरंतर उपस्थिति का आकलन करने के लिये समुदाय के भौगोलिक अलगाव को ध्यान में रखा जाता है।
- पिछड़ापन: समुदाय को होने वाले नुकसान के स्तर का मूल्यांकन करने के लिये सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन पर विचार किया जाता है।
- हालाँकि भारतीय संविधान ST की मान्यता के मानदंड को परिभाषित नहीं करता है।
किसी समुदाय को ST सूची में जोड़ने की प्रक्रिया
- यह प्रक्रिया राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर शुरू होती है, जहाँ संबंधित सरकार या प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय को शामिल करने की सिफारिश करता है।
- प्रस्ताव को परीक्षण और आगे के विचार-विमर्श के लिये केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है।
- इसके बाद जनजातीय कार्य मंत्रालय अपने विचार-विमर्श से प्रस्ताव की जाँच करता है और इसे भारत का महापंजीयक (Registrar General of India) को भेजता है।
- एक बार RGI द्वारा अनुमोदित होने के बाद प्रस्ताव राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजा जाता है जिसके बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार को वापस भेजा जाता है।
- किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करना तभी प्रभावी होता है जब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित होने के बाद राष्ट्रपति संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 [Constitution (Scheduled Tribes) Order, 1950] में संशोधन करने वाले विधेयक को मंज़ूरी दे देता है।
भारत में अनुसूचित जनजातियों की स्थिति
संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 366(25): यह केवल अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने हेतु प्रक्रिया निर्धारित करता है:इसमें अनुसूचित जनजातियों को “ऐसी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासी जातियों और समुदायों के भाग या समूह के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें संविधान के उद्देश्यों के लिये अनुच्छेद 342 में अनुसूचित जनजातियाँ माना गया है”।
- अनुच्छेद 342(1): राष्ट्रपति, किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में वहाँ के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् लोक अधिसूचना द्वारा उन जनजातियों या जनजातीय समुदायों अथवा जनजातियों या जनजातीय समुदायों के भागों अथवा उनके समूहों को विनिर्दिष्ट कर सकेगा।
- पाँचवीं अनुसूची: यह छठी अनुसूची में शामिल राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजाति के प्रशासन एवं नियंत्रण हेतु प्रावधान निर्धारित करती है।
- छठी अनुसूची: यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।