गुरु. नवम्बर 7th, 2024

भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने संयुक्त रूप से कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांत एवं अधिकार नामक परियोजना शुरू की है।इससे सर्वोत्तम श्रम मानकों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा तकनीकी जानकारी एवं ज्ञान को साझा करने में मदद मिलेगी।

ILO की FPRW परियोजना

  • यह सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों द्वारा उन मूलभूत/बुनियादी मानवीय मूल्यों को कायम रखने की प्रतिबद्धता है, जो हमारे सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • कार्यस्थल पर मौलिक सिद्धांतों और अधिकारों पर ILO घोषणा (FPRW) को वर्ष 1998 में अपनाया गया था और वर्ष 2022 में इसमें संशोधन किया गया था।
  • वैश्वीकरण के सामाजिक प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण ILO के सदस्यों ने श्रम मानकों की चार श्रेणियों को मान्यता दी, जिन्हें आठ कन्वेन्शनों में व्यक्त किया गया।
  • वर्ष 2022 में चार श्रेणियों को संशोधित कर पाँच श्रेणियाँ बना दिया गया जिसमें दस कन्वेन्शनों में व्यक्त सुरक्षा और स्वास्थ्य कन्वेन्शन को शामिल किया गया।

FPRW परियोजना और संबंधित कन्वेन्शन की पाँच श्रेणियाँ

  • संगठन बनाने की स्वतंत्रता और सामूहिक सौदेबाज़ी के अधिकार की प्रभावी मान्यता: बाह्य हस्तक्षेप से मुक्त होकर अपने स्वयं के संगठन बनाना तथा उनका प्रबंधन करना श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों का विशेषाधिकार है।सामूहिक सौदेबाजी के माध्यम से नियोक्ता और श्रमिक अपने संबंधों विशेष रूप से कार्य के शर्तों तथा नियमों पर चर्चा एवं विमर्श करते हैं।

इसे निम्नलिखित कन्वेंशन द्वारा लागू किया जाता है

  • संघ बनाने की स्वतंत्रता और संगठन के अधिकार का संरक्षण कन्वेंशन (सं. 87), 1948
  • संगठित होने का अधिकार और सामूहिक सौदेबाजी कन्वेंशन (सं. 98), 1949

सभी प्रकार के बलात् या अनिवार्य श्रम का उन्मूलन

  • श्रमिकों को स्वतंत्र रूप से ज्वाइन करने तथा उचित अवधि की पूर्व सूचना के अधीन कार्य छोड़ने की स्वतंत्रता होनी चाहिये।

इसे निम्नलिखित कन्वेंशन द्वारा लागू किया जाता है

  • बलात् श्रम कन्वेंशन (सं. 29), 1930
  • बलात् श्रम उन्मूलन कन्वेंशन (सं. 105), 1957

बाल श्रम का प्रभावी उन्मूलन

  • ILO कन्वेंशन संख्या 138 (कार्य या रोज़गार में संलग्नता हेतु न्यूनतम आयु) और कन्वेंशन संख्या 182 (बाल श्रम के सबसे बुरे रूपों का उन्मूलन) कार्य हेतु न्यूनतम आयु निर्धारित करते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह अनिवार्य स्कूली शिक्षा के लिये निर्धारित आयु से कम नहीं है तथा किसी भी मामले में 15 वर्ष से कम नहीं है ।

इसे निम्नलिखित कन्वेंशन द्वारा लागू किया जाता है

  • न्यूनतम आयु कन्वेंशन (सं. 138), 1973
  • बाल श्रम के सबसे बुरे स्वरूप पर कन्वेंशन (सं. 182), 1999

रोज़गार और व्यवसाय के संबंध में भेदभाव का उन्मूलन

  • जाति, रंग, लिंग, धर्म, राजनीतिक मत, राष्ट्रीय निष्कर्षण या सामाजिक मूल के आधार पर बहिष्कार या वरीयता नहीं दी जानी चाहिये।
  • इसमें समान महत्त्व के कार्य के लिये पुरुष और महिला श्रमिकों के लिये समान पारिश्रमिक का प्रावधान होना चाहिये।

इसे निम्नलिखित कन्वेंशन द्वारा लागू किया जाता है

  • समान पारिश्रमिक कन्वेंशन (सं. 100), 1951
  • भेदभाव (रोज़गार और व्यवसाय) कन्वेंशन (सं. 111), 1958

सुरक्षित एवं स्वस्थ कार्य परिवेश

  • ILO कन्वेंशन संख्या 155 का उद्देश्य कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर अंकुश लगाना है, जबकि कन्वेंशन संख्या 187 चोटों, बीमारियों और मौतों को रोकने के लिये व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य में निरंतर सुधार को अनिवार्य बनाता है।

इसे निम्नलिखित कन्वेंशन द्वारा लागू किया जाता है

  • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य कन्वेंशन (सं. 155), 1981
  • व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य कन्वेंशन के लिये प्रचारात्मक रूपरेखा (सं. 187), 2006.

भारत के लिये FPRW की आवश्यकता

  • व्यापार में नॉन-टैरिफ बाधा: भारत से कपास और हाइब्रिड/संकर कपास के बीज अमेरिकी श्रम विभाग की “बाल श्रम या बलात् श्रम द्वारा उत्पादित वस्तुओं की सूची” में बने हुए हैं। FPRW परियोजना से भारत को व्यापार में इस बाधा को कम करने में मदद मिलेगी।
  • वैश्विक दायित्व: ILO की FPRW परियोजना सभी ILO सदस्य देशों पर लागू होती है, चाहे उन्होंने इसकी पुष्टि की हो या नहीं। यह ILO के संविधान का अभिन्न अंग है। चूँकि भारत ILO का सदस्य है, इसलिये इसे FPRW परियोजना का अनुपालन करना आवश्यक है।
  • स्थायी कार्यबल: कपास उत्पादक समुदाय सभी श्रमिकों के लिये अधिक न्यायसंगत, स्थायी एवं समृद्ध परिवेश को प्रोत्साहित कर सकते हैं, जिससे व्यक्तियों तथा परिवारों को दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।
  • सामाजिक-आर्थिक उत्थान: यह सहयोग किसानों को उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी योजनाओं और पहलों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
  • लक्षित समुदायों के लिये आउटरीच सर्विसेज़ (पहुँच सेवाएँ), सूचना प्रसार और व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ संपर्क उनकी स्थिति को बेहतर बनाने में सहायक हो सकती हैं।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) जैसे SDG 10 (असमानताओं में कमी) , SDG 8 (सभ्य कार्य और आर्थिक विकास) को प्राप्त करना आवश्यक है।

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