शनि. सितम्बर 28th, 2024

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 18 सितंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दे दी है।  वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM), गगनयान, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और नेक्स्टजेन वाहनों को भी  मंजूरी  दी गयी ।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), जिसने 2008 में चंद्रयान-1, 2019 में चंद्रयान-2 और 2023 में चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया था, चंद्रयान-4 मिशन का नेतृत्व करेगा ।

36 महीने में पूरा होने वाले चंद्रयान-4 मिशन के लिए इसरो को 2104.06 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) इस मिशन का लागत बजट 1,236 करोड़ रुपए है और इसे मार्च 2028 में शुक्र ग्रह का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया जाएगा। ये मिशन भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान में बढ़ती क्षमताओं और महत्वाकांक्षाओं को दर्शाते हैं।

चंद्रयान-4 मिशन

  • चंद्रयान-4 मिशन भारत का एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित कर उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है।
  • यह भारत के चंद्रयान कार्यक्रम का चौथा मिशन है, जो सन 2003 में शुरू हुआ था।
  • मिशन की कुल लागत 2104.06 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिसमें अंतरिक्ष यान विकास, दो LVM3 लॉन्च, डीप स्पेस नेटवर्क का समर्थन, और विशेष परीक्षण शामिल हैं।

 मिशन का प्रमुख लक्ष्य और उद्देश्य

 चंद्रयान-4 मिशन के मुख्य उद्देश्य और लक्ष्य निम्नलिखित है

  • चंद्रमा पर उतरने और वापस लौटने के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करना तथा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी विकसित करना।
  • चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरना और नमूने एकत्रित करना और उन नमूनों को पृथ्वी पर सुरक्षित रूप से वापस लाना और उनका विश्लेषण करना।
  • मिशन की लागत और समय सीमा : इस मिशन की कुल लागत ₹2104.06 करोड़ है, जबकि इस मिशन को पूरा करने की अवधि 36 महीने निर्धारित किया गया है।
  • मिशन के प्रक्षेपण और उससे संबंधित तकनीकी विवरण : इस मिशन को दो चरणों में दो LVM3 रॉकेटों के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसमें एसेंडर मॉड्यूल, डिसेंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल जैसे विभिन्न मॉड्यूल शामिल होंगे।
  • उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी और भारत की भविष्य की योजनाएं : इस मिशन में उद्योग और शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी, जिससे तकनीकी विकास और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ – ही – साथ चंद्रयान-4 मिशन के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, भारत चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजने की योजना बना रहा है।
  • यह मिशन न केवल चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्रित करेगा, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए आवश्यक तकनीकों का भी प्रदर्शन करेगा।अतः चंद्रयान-4 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

वीनस ऑर्बिटर मिशन

  • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) या शुक्र ऑर्बिटर मिशन, जिसे शुक्रयान-1 भी कहा जाता है, इसरो का आगामी मिशन है, जिसका लक्ष्य 2028 में प्रक्षेपण करना है। इस मिशन का उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह, उपसतह और वायुमंडल का अध्ययन करना है ताकि इस ग्रह पर उपस्थित प्राणियों के जीवन से संबंधित  विकास – क्रम को समझा जा सके।
  • लॉन्च करने की समय सीमा और इस मिशन में खर्च का अनुमानित बजट : मार्च 2028 में लॉन्च होने वाला यह मिशन 1,236 करोड़ रुपये के बजट के साथ स्वीकृत हुआ है, जिसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे।
  • मिशन की अवधि : इस मिशन की अवधि 4 वर्ष निर्धारित किया गया है।
  • अंतरिक्ष यान का विवरण और कक्षा एवं पेलोड की स्थिति : अंतरिक्ष यान एक अण्डाकार कक्षा में संचालित होगा, जिसकी अपोप्सिस दूरी 60,000 किमी और पेरियाप्सिस दूरी 500 किमी होगी। इसका पेलोड 100 किलोग्राम का है और यह 500 वाट से संचालित होगा।
  • अध्ययन के क्षेत्र : इस मिशन का उद्देश्य शुक्र की सतह, वायुमंडल, ज्वालामुखीय गतिविधि और आयनमंडल के साथ सौर हवा की परस्पर क्रिया का अध्ययन करना है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रौद्योगिकी और सहयोग : इस मिशन के पेलोड और प्रौद्योगिकी के लिए नासा, सीएनईएस (फ्रांस) और रूस के साथ सहयोग स्थापित किया गया है। अतः यह मिशन शुक्र और पृथ्वी के विकास के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा और अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा तथा भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।

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