शुक्र. नवम्बर 8th, 2024

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल झीलों और अन्य जल निकायों के क्षेत्रफल में 2011 से 2024 तक 10.81% की वृद्धि देखी गई, जो ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (जीएलओएफ) के बढ़ते जोखिम का संकेत है।

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी)

  • यह जल संसाधन के क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख तकनीकी संगठन है।
  • यह वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय , जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण, भारत सरकार के संबद्ध कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है ।

केंद्रीय जल आयोग के मुख्य कार्य

केंद्रीय जल आयोग के कार्यों का दायरा अत्यधिक व्यापक है। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं

  • बाढ़ नियंत्रण: देशभर में बाढ़ प्रबंधन के लिए राज्य सरकारों के साथ सहयोग करना।
  • सिंचाई और जल विद्युत: जल संसाधनों का उपयोग कर सिंचाई और बिजली उत्पादन में वृद्धि करना।
  • नौवहन एवं पेयजल आपूर्ति: जलमार्ग परिवहन और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना।
  • योजनाओं की निगरानी: आवश्यकता अनुसार जल संसाधनों पर विभिन्न योजनाओं की जांच, निर्माण और क्रियान्वयन।

संगठनात्मक संरचना

  • केंद्रीय जल आयोग का नेतृत्व एक अध्यक्ष करते हैं, जिन्हें भारत सरकार के पदेन सचिव का दर्जा प्राप्त है। यह आयोग तीन शाखाओं में विभाजित है, जिनमें से प्रत्येक शाखा एक पूर्णकालिक सदस्य के अधीन है, जिनका दर्जा भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के समकक्ष है:
  • डिजाइन और अनुसंधान (D&R) विंग
    • नदी प्रबंधन (RM) विंग
    • जल योजना और परियोजनाएं (WP&P) विंग

राष्ट्रीय जल अकादमी, जो पुणे में स्थित है, आयोग के अंतर्गत केंद्रीय और राज्य स्तर के इंजीनियरों को प्रशिक्षण प्रदान करती है। यह अकादमी सीधे आयोग के अध्यक्ष के मार्गदर्शन में कार्य करती है।

हिमानी झीलें

  • हिमानी झीलें (ग्लेशियल झीलें) वे जलाशय हैं जो पिघलते हुए ग्लेशियरों के सामने, ऊपर या नीचे बनते हैं। जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हटता है, उसके पीछे एक गड्ढा छोड़ता है, जो पिघले हुए पानी से भर जाता है।
  • इन झीलों का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है और इनके किनारे अस्थिर बर्फ़, ढीली चट्टान और मलबे से बने होते हैं। यदि किनारों में से कोई टूट जाता है, तो अत्यधिक मात्रा में पानी तेजी से नीचे के इलाकों की तरफ बहता है, जिसे ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (GLOF) कहते हैं।
  • इस प्रकार की बाढ़ से इलाके में तबाही हो सकती है और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

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