11 नवंबर को वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी29) बाकू, अज़रबैजान में शुरू हुआ।
दो सप्ताह तक चलने वाला यह कार्यक्रम, जिसे ‘वित्त सीओपी’ कहा जाता है, जलवायु प्रभावों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील देशों के लिए नए जलवायु वित्त लक्ष्य को सुरक्षित करने पर केंद्रित होगा।
भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए, वित्त, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन के अग्रिम मोर्चे पर समुदायों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है।
अब तक भारत ने शमन और अनुकूलन प्रयासों के लिए आवश्यक तत्काल वित्तपोषण उपलब्ध कराने हेतु वैश्विक जलवायु वित्त ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत बाकू में जलवायु वित्त के लिए एक नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) प्राप्त करने का प्रयास करेगा, जो 2009 में निर्धारित 100 बिलियन डॉलर के पुराने वार्षिक लक्ष्य से परे होगा।
भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 से संकेत मिलता है कि पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत को 2030 तक लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।