बुध. मई 1st, 2024

गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (जीईआरएमआई) के वैज्ञानिकों ने सबसे पतले, हल्के और बायोडिग्रेडेबल पेपर-आधारित सुपरकैपेसिटर के विकास के साथ ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में एक सफलता हासिल की है। समुद्री शैवाल से प्राप्त यह नवोन्मेषी उपकरण कई लाभ प्रदान करता है.

पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर

  • GERMI शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर अपनी तरह का सबसे पतला और सबसे हल्का सुपरकैपेसिटर है।
  • समुद्री शैवाल से प्राप्त सेलुलोज़ नैनोफाइबर के लाभ से टीम ने सफलतापूर्वक एक एनोडिक पेपर सुपरकैपेसिटर बनाया जो असाधारण लचीलापन (Tensile Strength), प्रदर्शन और लागत-प्रभावशीलता प्रदर्शित करता है।

अनुप्रयोग और व्यावसायिक संभावनाएँ

  • इस नवोन्वेषी सुपरकैपेसिटर के कई अनुप्रयोग हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मेमोरी बैकअप सिस्टम, एयरबैग, भारी मशीनरी और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
  • परिणामस्वरूप यह उच्च-प्रदर्शन ऊर्जा भंडारण समाधान चाहने वाले उद्योगों के लिये एक आकर्षक व्यावसायिक संभावना प्रस्तुत करता है।
  • प्रौद्योगिकी की पर्यावरण-अनुकूल प्रकृति इसे निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिये एक आकर्षक विकल्प बनाती है।

समुद्री सेलुलोज़ की क्षमता 

  • पेपर सुपरकैपेसिटर के उल्लेखनीय गुण समुद्री शैवाल से प्राप्त समुद्री  सेलुलोज़-आधारित सामग्री के कारण हैं।
  • यह सामग्री विभिन्न स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एकीकरण की अपार संभावनाएँ रखती है।
  • इसके अतिरिक्त समुद्री शैवाल की खेती तटीय समुदायों के लिये राजस्व के स्रोत के रूप में काम कर सकती है, जिससे आर्थिक अवसर और सतत् विकास हो सकता है।

सुपरकैपेसिटर

  • सुपरकैपेसिटर, एक विद्युत रासायनिक उर्जा भंडारण उपकरण है। इन्हें अल्ट्राकैपेसिटर के रूप में भी जाना जाता है।
  • सुपरकैपेसिटर नई पीढ़ी के ऊर्जा भंडारण उपकरण हैं जो उच्च शक्ति घनत्व कैपेसिटर, लंबे समय तक स्थायित्व एवं पारंपरिक कैपेसिटर की तुलना में अल्ट्राफास्ट चार्जिंग एवं लिथियम-आयन बैटरी (lithium-ion batteries) जैसे गुणों के कारण व्यापक अनुसंधान के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
  • सुपरकैपेसिटर के मुख्य घटकों में इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट, सेपरेटर और करेंट कलेक्टर शामिल हैं।

समुद्री शैवाल 

  • समुद्री शैवाल मैक्रोएल्गी हैं जो चट्टान या अन्य सब्सट्रेट से जुड़े होते हैं और तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • उन्हें उनकीके रंजकता के आधार पर क्लोरोफाइटा (हरा), रोडोफाइटा (लाल) और फियोफाइटा (भूरा) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • उनमें से क्लोरोफाइटा में अधिक संभावित घटक कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन और बायोएक्टिव यौगिक होते हैं।
  • पोषण मूल्य: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और आहार फाइबर सहित आवश्यक पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं।
  • औषधीय प्रयोजन के लिये: कई समुद्री शैवालों में सूजनरोधी और रोगाणुरोधी एजेंट होते हैं। कुछ समुद्री शैवालों में शक्तिशाली कैंसर से लड़ने वाले एजेंट होते हैं।
  • जैव सूचक: जब कृषि, उद्योगों, जलीय कृषि और घरों से निकलने वाले अपशिष्ट को समुद्र में छोड़ दिया जाता है, तो यह पोषक तत्त्वों के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे एल्गी ब्लूम होता है, जो समुद्री रासायनिक क्षति का सूचक है।
  • ये समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
  • ऑक्सीजन उत्पादन: समुद्री शैवाल, प्रकाश संश्लेषक जीवों के रूप में प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करके समुद्री जीवन के श्वसन एवं अस्तित्व को बनाए रखते हुए समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • सेलुलोज़ सामग्री: गुजरात के पोरबंदर तट से एकत्र की गई ग्रीन सीवीड की कोशिका भित्ति में एक विशेष प्रकार के सेलुलोज़ की उच्च मात्रा पाई गई है।
  • ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोगों हेतु बैटरी जैसे पेपर-बेस्ड इलेक्ट्रोड बनाने के लिये सबसे उपयुक्त बायोपॉलिमर सामग्री सेलुलोज़ के रूप में खोजी गई है।
  • सेलुलोज़ स्वयं एक इन्सुलेशन सामग्री है जिसे पेपर-बेस्ड ऊर्जा भंडारण उपकरण बनाने हेतु प्रवाहकीय सामग्री के साथ लेपित किया जाता है।

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