शनि. मई 18th, 2024

भारत ने  स्पष्ट कर दिया कि वह कश्मीर में दो जलविद्युत परियोजनाओं पर स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा। मध्यस्थता न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि वह विवादों पर विचार करने और निर्णय लेने के लिए सक्षम है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अवैध रूप से गठित तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि उसके पास किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाओं से संबंधित मामलों पर विचार करने की सक्षमता है। भारत की सुसंगत और सैद्धांतिक स्थिति यह रही है कि तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय का गठन सिंधु जल संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है। भारत को संधि में शामिल नहीं अवैध और समानांतर कार्यवाही को मान्यता देने या उसमें भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

सिंधु जल संधि 

  • भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद सितंबर 1960 में IWT (जल साझाकरण संधि) पर हस्ताक्षर किये, जिसमें विश्व बैंक भी इस संधि का हस्ताक्षरकर्त्ता था।
  • यह संधि सिंधु नदी और उसकी पाँच सहायक नदियों सतलज, ब्यास, रावी, झेलम और चिनाब के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग तथा सूचना के आदान-प्रदान के लिये एक तंत्र निर्धारित करती है।
  • इस संधि का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार जल संसाधनों के सहयोग तथा शांतिपूर्ण प्रबंधन को बढ़ावा देना है।         

नदियों का आवंटन

  • इस संधि के तहत, तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलज) को अप्रतिबंधित उपयोग के लिये भारत को आवंटित किया गया है।
  • पाकिस्तान के अप्रतिबंधित उपयोग के लिये तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब) आवंटित की गई हैं।
  • भारत के पास घरेलू, गैर-उपभोग्य और कृषि उद्देश्यों के लिये पश्चिमी नदियों के सीमित उपयोग की अनुमति है।

भारत और पाकिस्तान के बीच जल-विद्युत परियोजना विवाद

जल-विद्युत परियोजनाएँ 

  • इस मामले में भारत और पाकिस्तान के बीच किशनगंगा जल-विद्युत परियोजना (झेलम नदी की सहायक नदी किशनगंगा नदी पर) और जम्मू-कश्मीर में रतले जल-विद्युत परियोजना (चिनाब नदी पर) को लेकर विवाद शामिल है।
  • दोनों देश इस बात पर असहमत हैं कि क्या इन दोनों जल-विद्युत संयंत्रों की तकनीकी डिजाइन विशेषताएँ IWT का उल्लंघन करती हैं।

पाकिस्तान की आपत्तियाँ

  • पाकिस्तान IWT के उल्लंघन में कम जल प्रवाह, पर्यावरणीय प्रभाव तथा विभिन्न संधि व्याख्याओं के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए जल-विद्युत परियोजनाओं पर आपत्ति जताता है।
  • वर्ष 2016 में पाकिस्तान ने एक तटस्थ विशेषज्ञ का अपना अनुरोध वापस ले लिया साथ ही इसके स्थान पर एक CoA का प्रस्ताव रखा।
  • भारत ने इस प्रक्रिया में इसके महत्त्व पर ज़ोर देते हुए वर्ष 2016 में एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया, जिसे पाकिस्तान ने नजरअंदाज करने की कोशिश की।

विश्व बैंक का हस्तक्षेप 

  • विश्व बैंक ने भारत और पाकिस्तान के अलग-अलग अनुरोधों के कारण प्रक्रिया पर रोक लगा दी, जिसमें PIC के माध्यम से समाधान का आग्रह किया गया था।
  • पाकिस्तान ने PIC बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से अस्वीकृत कर दिया, जिसके कारण विश्व बैंक को तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय पर कार्रवाई प्रारंभ करनी पड़ी।
  • यह संधि विश्व बैंक को यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं देती है कि एक प्रक्रिया को दूसरी प्रक्रिया से अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिये या नहीं।
  • विश्व बैंक ने CoA और तटस्थ विशेषज्ञ दोनों के संबंध में अपने प्रक्रियात्मक दायित्वों को पूरा करने की मांग की।

भारत का विरोध

  • भारत, सिंधु-जल संधि प्रावधानों के उल्लंघन का हवाला देते हुए CoA के संविधान का विरोध करता है।
  • भारत ने CoA के अधिकार क्षेत्र और क्षमता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इसका गठन संधि के अनुसार नहीं किया गया था।
  • भारत ने एकल विवाद समाधान प्रक्रिया की आवश्यकता पर बल देते हुए मध्यस्थों की नियुक्ति नहीं की है या न्यायालय की कार्यवाही में भाग नहीं लिया है।

स्थायी मध्यस्थता न्यायालय का निर्णय

निर्णय

  • PCA ने निर्णय दिया कि मध्यस्थता न्यायालय (CoA) के पास जम्मू-कश्मीर में भारत की जल-विद्युत परियोजनाओं के संबंध में पाकिस्तान की आपत्तियों पर विचार करने की क्षमता है।
  • यह सर्वसम्मत निर्णय पर आधारित था, जो दोनों पक्षों के लिये बाध्यकारी था साथ ही  इसमें अपील की कोई संभावना भी नहीं थी।
  • PCA ने CoA की क्षमता पर भारत की आपत्तियों को अस्वीकृत कर दिया, जैसा कि विश्व बैंक के साथ उसके संचार माध्यम से उठाया गया था।

भारत की प्रतिक्रिया

  • भारत ने स्पष्ट किया कि वह PCA में पाकिस्तान द्वारा प्रारंभ की गई कार्यवाही में शामिल नहीं होगा क्योंकि IWT के ढाँचे के अंर्तगत विवाद की जाँच पहले से ही एक तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा की जा रही है।
https://currenthunt.com/hi/2023/06/2023-report-on-global-liveability-index-2/

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