रवि. मई 19th, 2024

सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बांग्लादेश के साथ तीस्ता नदी के जल के बंटवारे पर सहमत होने का आग्रह किया है। तीस्ता नदी का पानी साझा करना, जो हिमालय से निकलती है और सिक्किम एवं पश्चिम बंगाल से होकर ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है, यह नदी भारत और बांग्लादेश के बीच सबसे विवादास्पद मुद्दा है।

बांग्लादेश के लिए तीस्ता नदी का महत्त्व

  • यह नदी सिक्किम के लगभग पूरे बाढ़ क्षेत्र को कवर करती है, जबकि बांग्लादेश के 2,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इस नदी के जल से अप्रभावित(सूखा) रहता है, जिससे हजारों लोगों का जीवन नियंत्रित होता है।

पश्चिम बंगाल के लिए तीस्ता नदी का महत्त्व

  • पश्चिम बंगाल के लिए तीस्ता नदी बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसे उत्तरी बंगाल के लगभग आधा दर्जन जिलों की जीवन रेखा माना जाता है।

भारत और बांग्लादेश के मध्य तीस्ता जल संधि क्यों है 

  • वर्ष1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बांग्लादेश ने एक बार फिर तीस्ता नदी के पानी के बंटवारे को लेकर मुद्दा उठाया था । इसके बाद साल 1972 में भारत-बांग्लादेश संयुक्त नदी आयोग का गठन किया गया।
  • वर्ष 1996 में गंगा के पानी पर हुए समझौते के बाद तीस्ता के पानी के बंटवारे की मांग ने फिर जोर पकड़ी और तब से यह मुद्दा लगातार विवादों में है।
  • वर्ष 1983 में तीस्ता के पानी पर बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था। जिसके बाद बांग्लादेश को 36 फीसदी और भारत को 39 फीसदी तीस्ता के पानी का इस्तेमाल करने का हक मिला।लेकिन बाकी बचे 25 फीसदी का आवंटन नहीं हो सका।
  • वहीं गंगा समझौते के बाद दूसरी नदियों के लिए विशेषज्ञों की एक साझा समिति तैयार की गई।
  • इस समिति ने तीस्ता को महत्व देते हुए साल 2000 में समझौते पर एक मसौदा तैयार किया।
  • वर्ष 2010 में बांग्लादेश और भारत ने इस मसौदे को अंतिम मंजूरी दे दी थी।
  • वर्ष 2011 में तत्कालीन पीएम डॉ. मनमोहन सिंह बांग्लादेश यात्रा के दौरान तीस्ता करार पर हस्ताक्षर करने वाले थे। लेकिन ममता बनर्जी की तरफ से विरोध जताए जाने पर इसे स्थगित कर दिया गया था।
  • तीस्ता नदी का औसत वार्षिक जल प्रवाह लगभग 60 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है। इस नदी में अत्यधिक जल जून और सितंबर के मध्य में प्रवाहित होती है।

तीस्ता नदी का महत्व

  • तीस्ता नदी का औसत वार्षिक जल प्रवाह लगभग 60 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) है। इस नदी में अत्यधिक जल जून और सितंबर के मध्य में प्रवाहित होती है।
  • इस नदी के प्रवाह और मौसमी बदलाव का महत्व कम बारिश के मौसम (अक्टूबर से अप्रैल/मई तक) के दौरान महसूस किया जाता है क्योंकि औसत प्रवाह लगभग 500 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) प्रति माह है।
  • इस नदी में मानसून के दौरान बाढ़ आती है और शुष्क अवधि के दौरान सूखा पड़ता है।
  • निम्नलिखित परिस्थितियों को देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 2011 में एक ऐसी व्यवस्था का विरोध किया, जिसके तहत कमज़ोर मौसम के दौरान भारत को 42.5% और बांग्लादेश को 37.5% पानी मिलेगा, इस कारण से तीस्ता जल संधि  को महत्त्व नहीं दिया गया।

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