सोम. मई 20th, 2024

एनवायरमेंटल एंड एनर्जी थिंक-टैंक, क्लाइमेट रिस्क होरिज़ोंस के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, यदि हरित हाइड्रोजन उत्पादन में जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिये आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो भारत के हरित हाइड्रोजन पहल से प्रदूषण बढ़ सकता है।नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को वर्ष 2030 तक पाँच मिलियन टन का उत्पादन करने की अपेक्षा है।

हरित हाइड्रोजन उत्पादन में वर्तमान मुद्दे

हरित हाइड्रोजन की परिभाषा

  • MNRE ने हरित हाइड्रोजन को हाइड्रोजन उत्पादन के रूप में परिभाषित किया है जो प्रति किलोग्राम हाइड्रोजन के साथ 2 किलोग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित नहीं करता है।
  • हालाँकि इस परिभाषा की व्याख्या अभी नहीं हो पाई है जिससे इसके व्यावहारिक कार्यान्वयन को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

इलेक्ट्रोलाइज़र का निरंतर संचालन

  • यदि इलेक्ट्रोलाइज़र (हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिये आवश्यक) का उपयोग 24 घंटे किया जाता है तो उन्हें रात में बिना किसी सौर ऊर्जा संचालित करने की आवश्यकता होगी। इसके लिये संभवतः पारंपरिक कोयला आधारित ग्रिड से बिजली बनाने की आवश्यकता होगी, जिसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन बढ़ सकता है।

परियोजना विद्युत स्रोतों में पारदर्शिता का अभाव

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश परियोजनाओं ने अपने बिजली स्रोतों का खुलासा नहीं किया है तथा यह स्पष्ट नहीं है कि जिन कुछ परियोजनाओं ने प्रतिबद्धता जताई है, वे नवीकरणीय स्रोतों से अपनी 100% बिजली आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं या नहीं।

हरित हाइड्रोजन उत्पादन के निहितार्थ

बायोमास का उपयोग और हरित हाइड्रोजन उत्पादन

  • भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये बायोमास के उपयोग की अनुमति है- जो जलने पर कार्बन उत्सर्जन उत्पन्न करता है। इससे पूर्णतः स्वच्छ हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में समस्या उत्पन्न होती है।

नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विचलन

  • हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिये बड़ी मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता की आवश्यकता होती है। हालाँकि इस क्षमता के एक बड़े हिस्से को हरित हाइड्रोजन उत्पादन में नियोजित करने से उपभोक्ताओं के लिये अपर्याप्त बिजली जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • इसके लिये 125 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के नियोजन की आवश्यकता होगी, जो भारत की वर्तमान बिजली उत्पादन के लगभग 13% के बराबर है।
  • उन परियोजनाओं से वित्त को हटाने का जोखिम, जो बिजली ग्रिड को हरित हाइड्रोजन उत्पादन में डीकार्बोनाइज़ करने में मदद करेगा, चिंता का विषय है।

उद्योग विस्तार और निवेश

  • भारत में कई प्रमुख बिजली उपयोगिताओं, जैसे कि रिलायंस इंडस्ट्रीज़, अदानी समूह और नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन ने अपने हरित हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाने के लिये महत्त्वाकांक्षी योजनाओं की घोषणा की है, जिसमें ऐसी चिंताएँ आगे के निवेश में बाधा बन सकती हैं।

हरित हाइड्रोजन का महत्त्व

उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करना

  • भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution- NDC) लक्ष्यों को पूरा करने, क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, अभिगम व उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये हरित हाइड्रोजन ऊर्जा महत्त्वपूर्ण है।
  • पेरिस जलवायु समझौते के तहत, भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी अर्थव्यवस्था की उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से 33-35% तक कम करने का वादा किया है। हरित हाइड्रोजन भारत को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जा सकता है, जलवायु परिवर्तन से निपट सकता है।

ऊर्जा भंडारण और गतिशीलता

  • हरित हाइड्रोजन एक ऊर्जा भंडारण विकल्प के रूप में कार्य कर सकता है, जो भविष्य में (नवीकरणीय ऊर्जा की) बाधाओं को समाप्त करने के लिये आवश्यक होगा।
  • गतिशीलता के संदर्भ में, शहरों और राज्यों के भीतर शहरी माल ढुलाई हेतु या यात्रियों के लंबी दूरी की गतिशीलता के लिये, ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग रेलवे, बड़े जहाज़ों, बसों या ट्रकों आदि में किया जा सकता है।

आयात निर्भरता कम करना

  • इससे जीवाश्म ईंधन पर भारत की आयात निर्भरता कम हो जाएगी। इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन का स्थानीयकरण और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं का विकास भारत में 18-20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक नया हरित प्रौद्योगिकी बाज़ार के साथ हजारों रोज़गार का सृजन कर सकता है।

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