राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के संस्थापक नामित ‘व्यक्तिगत आतंकवादी’ गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ एयर इंडिया से उड़ान भरने वाले यात्रियों को कथित तौर पर धमकी देने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम, 1967 के तहत मामला दर्ज किया है। एयरलाइंस ने 19 नवंबर से वैश्विक नाकाबंदी और परिचालन बंद कर दिया है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी
- NIA भारत सरकार की एक संघीय एजेंसी है जो आतंकवाद, उग्रवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों से संबंधित अपराधों की जाँच एवं मुकदमा चलाने के लिये ज़िम्मेदार है।
- किसी देश में संघीय एजेंसियों का आमतौर पर उन मामलों पर अधिकार क्षेत्र होता है जो केवल राज्यों या प्रांतों के बजाय पूरे देश को प्रभावित करते हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 2008 में मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद वर्ष 2009 में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत की गई थी, यह गृह मंत्रालय के तहत संचालित है।
- NIA अधिनियम, 2008 में संशोधन करते हुए जुलाई 2019 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया गया था।
कार्य
- NIA के पास राज्य पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों से प्राप्त आतंकवाद से संबंधित मामलों की जाँच करने की शक्ति है। इसके पास राज्य सरकारों से पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना राज्य की सीमाओं के मामलों की जाँच करने का भी अधिकार है।
- यह आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय करती है।
जाँच क्षेत्र
- NIA अधिनियम, 2008 की धारा 6 के तहत राज्य सरकार सूचीबद्ध अपराधों से संबंधित मामलों को NIA जाँच के लिये केंद्र सरकार को भेज सकती है।
- केंद्र सरकार NIA को अपने हिसाब से भारत के भीतर अथवा विदेश में किसी सूचीबद्ध अपराध की जाँच करने का निर्देश दे सकती है।
- UAPA तथा कुछ सूचीबद्ध अपराधों के तहत अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी को केंद्र सरकार की मंज़ूरी लेनी होती है।
- वामपंथी उग्रवाद के आतंकी वित्तपोषण से संबंधित मामलों से निपटने के लिये एक विशेष प्रकोष्ठ है। किसी सूचीबद्ध अपराध की जाँच के दौरान NIA उससे जुड़े किसी अन्य अपराध की भी जाँच कर सकती है। अंत में जाँच के बाद मामलों को NIA की विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।
उड्डयन सुरक्षा क्या है और भारत में इसे कैसे विनियमित किया जाता है
- नागरिक उड्डयन सुरक्षा से तात्पर्य नागरिक उड्डयन को गैर-कानूनी हस्तक्षेप, जैसे- आतंकवादी हमलों, अपहरण, तोड़फोड़ और अन्य खतरों से बचाने के लिये लागू किये गए उपायों एवं प्रोटोकॉल से है।
- इन सुरक्षा उपायों का उद्देश्य यात्रियों, चालक दल, विमान और हवाई अड्डे की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
नियामक निकाय
- नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो भारत में नागर विमानन सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय नियामक के रूप में कार्य करता है।
- आरंभिक तौर पर BCAS की स्थापना पांडे समिति की सिफारिशों पर जनवरी, 1978 में DGCA में एक प्रकोष्ठ के रूप में हुई थी। BCAS को वर्ष 1987 में नागर विमानन मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र विभाग के रूप में पुनः स्थापित किया गया था।
- नागर विमानन महानिदेशालय भारत में अंतर्राष्ट्रीय तथा घरेलू हवाई परिवहन सेवाओं को नियंत्रित करता है। यह नागरिक उड़ानों के संबंध में मानकों तथा उपायों को निर्धारित करता है।
नियम
- नागर विमानन मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप नागर विमानन सुरक्षा को बढ़ाने के लिये विमान (सुरक्षा) नियम, 2023 पेश किया है।
अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन पर अभिसमय
- इसे आमतौर पर शिकागो कन्वेंशन के रूप में जाना जाता है जिसे वर्ष 1944 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन के तत्त्वावधान में स्थापित किया गया था।
- शिकागो कन्वेंशन अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन के लिये मूलभूत संधि के रूप में कार्य करता है। यह अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन के सुरक्षित तथा व्यवस्थित विकास के लिये सिद्धांतों तथा मानकों की रूपरेखा तैयार करता है एवं इसमें विमानन सुरक्षा से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।