शुक्र. मई 17th, 2024

ज़ीका वायरस

  • ज़ीका वायरस, एक मच्छर जनित फ्लेविवायरस है, जो मुख्य रूप से एडीज़ मच्छरों, विशेष रूप से एडीज़ एजिप्टी(Aedes aegypti) द्वारा फैलता है।
  • इसके अलावा यह गर्भावस्था के दौरान माँ से भ्रूण तक, साथ ही शारीरिक संपर्क, रक्त और रक्त उत्पादों के संक्रमण के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है।
  • ज़ीका वायरस में एक RNA जीनोम होता है और इस प्रकार उत्परिवर्तन जमा करने की बहुत अधिक क्षमता होती है।

जीनोमिक अध्ययनों से पता चला है कि ज़ीका वायरस के दो प्रकार हैं: अफ्रीकी और एशियाई।

  • सर्वप्रथम यह वायरस वर्ष 1947 में युगांडा के ज़ीका वन में संक्रमित बंदरों में पाया गया तथा इस वायरस का पहला मानव संक्रमण वर्ष 1952 में युगांडा और तंज़ानिया में दर्ज किया गया था।
  • वर्ष 2007 के बाद से अफ्रीका, अमेरिका, एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में इसका प्रकोप बढ़ा है।
  • हाल के वर्षों में भारत में केरल और कर्नाटक राज्यों में इसका संक्रमण बढ़ा है।
  • लक्षण: यह वायरस अक्सर लक्षणहीन प्रकृति का होता है, किंतु प्रत्यक्ष होने पर इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द तथा 2-7 दिनों तक रहने वाला सिरदर्द शामिल हैं।
  • अन्य स्वास्थ्य विकारों के साथ संबंध: यह वयस्कों एवं बच्चों में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और मायलाइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से संबंधित है।
  • इसके अतिरिक्त, ज़ीका व डेंगू वायरस के बीच परस्पर क्रिया रोग को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
  • एक के संपर्क में आने से दूसरे का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रबंधन एवं टीकों के विकास में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • जटिलताएँ: गर्भावस्था के दौरान यह संक्रमण जन्मजात विकृतियों का कारण बनता है, जैसे माइक्रोसेफली तथा अन्य संबंधित विकार।

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