भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लगातार 5वीं बार बेंचमार्क ब्याज दरों को अपरिवर्तित बरकरार रखा है।प्रमुख रेपो दर लगातार पाँच समीक्षाओं से 6.5% पर स्थिर है।
MPC बैठक के मुख्य तथ्य
पॉलिसी दरें
- पॉलिसी रेपो दर: 6.5%
- रेपो रेट वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक ( भारत के लिये RBI) धन की कमी की स्थिति में वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। यहाँ केंद्रीय बैंक प्रतिभूति खरीदता है।
स्थायी जमा सुविधा (SDF): 6.25 %
- SDF एक लिक्विडिटी विंडो है जिसके माध्यम से RBI बैंकों को अतिरिक्त तरलता/लिक्विडिटी को अपने पास रखने का विकल्प देगा।
- यह रिवर्स रेपो सुविधा से अलग है क्योंकि इसमें बैंकों को धन जमा करते समय संपार्श्विक प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होती है।
सीमांत स्थायी सुविधा दर: 6.75%
- MSF अनुसूचित बैंकों के लिये आपातकालीन स्थिति में RBI से रात भर उधार लेने को एक विंडो है, जब अंतरबैंक लिक्विडिटी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR): 4.50%
- CRR के अंर्तगत, वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास एक निश्चित न्यूनतम राशि जमा (NDTL) के रूप में रखनी होती है।
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): 18.00%
- SLR जमा का न्यूनतम प्रतिशत है जिसे एक वाणिज्यिक बैंक को तरल नकदी, सोना अथवा अन्य प्रतिभूतियों के रूप में बनाए रखना होता है।.
अनुमान
वृद्धि का अनुमान
- वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में 7.6% की मज़बूत वृद्धि के साथ वर्ष 2023-24 के लिये सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान पहले के 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया गया था।
मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान
- वित्त वर्ष 2023-24 के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान 5.4% पर बनाए रखा गया है।
आरबीआई की अन्य पहलें
स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये UPI सीमा में बढ़ोतरी
- उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, आरबीआई ने स्वास्थ्य और शिक्षा लेन-देन के लिये यूपीआई सीमा को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति लेन-देन कर दिया है, ताकि स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और रोगियों दोनों के लिये पर्याप्त परिचालन लाभ प्राप्त किया जा सके।
आवर्ती ई-भुगतान अधिदेश
- आरबीआई ने क्रेडिट कार्ड, बीमा प्रीमियम भुगतान और म्यूचुअल फंड निवेश के लिये आवर्ती ई-भुगतान जनादेश की सीमा को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया है, जिससे अधिक महत्त्वपूर्ण आवधिक लेन-देन की अनुमति मिलती है।
वेब-एकत्रीकरण के लिये विनियामक ढाँचा
- आरबीआई डिजिटल ऋण में ग्राहक-केंद्रित और पारदर्शिता में सुधार के लिये ऋण उत्पादों के वेब-एकत्रीकरण हेतु एक नियामक ढाँचा स्थापित करने की योजना बना रहा है।
फिनटेक के साथ साझेदारी
- RBI ने अप्रैल 2024 तक फिनटेक (FinTech) निधान/रिपॉज़िटरी के निर्माण का प्रस्ताव देकर फिनटेक के साथ साझेदारी करने वाले बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) की बढ़ती घटनाओं पर बेहतर पकड़ बनाने की कोशिश की है।
- फिनटेक को इस रिपॉज़िटरी को स्वेच्छा से प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।