रवि. मई 19th, 2024

भारत में किये जाने वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में विभिन्न क्षेत्रों के बीच वरीयता क्रम में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है।इस परिवर्तन का श्रेय विभिन्न कारकों को दिया जाता है, जिनमें नियामक परिवर्तन, भू-राजनीतिक घटनाएँ और रणनीतिक गठबंधन शामिल हैं।

भारत के FPI परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन

लक्ज़मबर्ग का प्रभुत्व

  • मॉरीशस को पीछे छोड़ लक्ज़मबर्ग अब भारत में FPI के मामले में तीसरे स्थान पर है। जिसकी  अभिराक्षधीन आस्तियाँ (Assets Under Custody- AUC) 30% बढ़कर ₹4.85 लाख करोड़ हो गई।
  • विश्व स्तर पर इसकी इक्विटी आस्तियाँ अब संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • इस वृद्धि का श्रेय भारत-यूरोप के बीच बेहतर संबंधों को दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप तीन वित्तीय समझौते संपन्न हुए।
  • लक्ज़मबर्ग यूरोप (UK के अतिरिक्त) में 3,000 में से 1,400 से अधिक FPI खातों की मेज़बानी करता है।
  • विशेष रूप से GIFT सिटी के साथ सहयोग ने भारत तथा लक्ज़मबर्ग के बीच वित्तीय संबंधों को और सुदृढ़ किया है।

फ्राँस की उल्लेखनीय उपलब्धि

  • AUC में 74% की उल्लेखनीय वृद्धि (₹1.88 लाख करोड़) के साथ फ्राँस शीर्ष दस FPI में पहुँच गया है।
  • यह वृद्धि भारत और फ्राँस के बीच दोहरे कराधान परिहार समझौता (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) के तहत अनुकूल कर प्रावधानों से प्रेरित है।

परिवर्तित परिदृश्य में अन्य देश

  • आयरलैंड की कर दक्षता तथा वैश्विक पहुँच जो विनियमित निधियों को आय एवं लाभ पर आयरिश कर से छूट प्रदान करता है, इसे आकर्षक बनाती है।
  • आयरलैंड तथा नॉर्वे अपने स्थान में एक-एक स्तर की पदोन्नति के साथ अब FPI देशों में 5वें एवं 7वें स्थान पर हैं।
  • इसके अलावा AUC में साल-दर-साल 19% की वृद्धि के बावजूद, कनाडा रैंकिंग में एक स्थान नीचे गिर गया। भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव का निवेश पर प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है।

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश

  • FPI का तात्पर्य भारत की वित्तीय परिसंपत्तियों, जैसे- स्टॉक, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड में विदेशी व्यक्तियों, निगमों तथा संस्थानों द्वारा किये गए निवेश से है।
  • ये निवेश मुख्य रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के विपरीत अल्पकालिक लाभ और पोर्टफोलियो विविधीकरण के उद्देश्य से होते हैं, जिसमें परिसंपत्तियों का दीर्घकालिक स्वामित्व शामिल होता है।

लाभ

  • पूंजी प्रवाह: FPI के परिणामस्वरूप भारतीय वित्तीय बाज़ारों में विदेशी पूंजी का प्रवाह होता है, जो तरलता और पूंजी उपलब्धता में वृद्धि में योगदान देता है।
  • शेयर बाज़ार में वृद्धि: बढ़ी हुई FPI शेयर बाज़ार पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, जिससे उच्च मूल्यांकन और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: FPI में अक्सर प्रौद्योगिकी-उन्मुख क्षेत्रों में निवेश शामिल होता है, जिससे प्रेरित प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विभिन्न उद्योगों में प्रगति होती है।
  • वैश्विक एकीकरण: FPI वित्तीय बाज़ारों के वैश्विक एकीकरण को बढ़ावा देता है, जिससे भारतीय बाज़ार वैश्विक रुझानों के साथ जुड़ सकते हैं और विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं।

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