भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड ने विश्व बैंक (WB) द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित किया जिसमें भारत के अक्षय ऊर्जा परिदृश्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों पर प्रकाश डाला गया।
वेबिनार में IREDA के संबोधन से संबंधित प्रमुख बिंदु
जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति हेतु भारी निवेश
- वर्ष 2030 के लिये भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) अथवा पेरिस समझौते के तहत इसकी जलवायु संबंधी प्रतिज्ञाओं की पूर्ति के लिये 30 लाख करोड़ रुपए के निवेश की आवश्यकता होगी।
- भारत के NDC लक्ष्यों के अनुसार भारत वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन की लगभग 50% संचयी स्थापित क्षमता हासिल करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रोलाइज़र, पवन और बैटरी स्पेस, पावर ट्रांसमिशन, ग्रीन हाइड्रोजन, हाइड्रो पावर तथा अपशिष्ट-से-ऊर्जा क्षेत्रों में विनिर्माण एवं क्षमता विस्तार के लिये निवेश की आवश्यकता है।
रूफ टॉप सोलर क्षेत्र का उन्नयन
- IREDA ने वेबिनार में रूफ टॉप सोलर योजना “PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना” के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
- उक्त दूरदर्शी परियोजना में 75,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है। जिसका लक्ष्य प्रत्येक माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करके 1 करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से लैस करना है।
- यह योजना लोगों को न केवल पर्याप्त लाभ प्रदान करती है अपितु अक्षय ऊर्जा के बारे में उनकी जागरूकता भी बढ़ाती है जो वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन और वर्ष 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के भारत के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य में योगदान देती है।
ऊर्जा मांग में वृद्धि
- IREDA के अनुसार देश के लिये सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के कारण भारत की ऊर्जा मांग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी तथा अधिकतम ऊर्जा मांग की पूर्ति अक्षय/नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से की जाएगी।
- ऊर्जा मांग के लगभग 90% की पूर्ति नवीकरणीय स्रोतों से की जाएगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा के लिये पर्याप्त ऊर्जा भंडारण का प्रयास जारी है किंतु इसकी प्राप्ति तक थर्मल ऊर्जा का भी विकास किया जाएगा।
IREDA
- भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (IREDA) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन भारत सरकार का एक मिनी रत्न प्रतिष्ठान है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1987 में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिये एक विशेष गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में की गई थी।
- IREDA नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं के वित्तपोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो वित्तीय संस्थानों/बैंकों को इस क्षेत्र में ऋण प्रदान करने का विश्वास दिलाता है।