पक्षी शोधकर्ताओं द्वारा भारत में पहली बार तेलंगाना के वारंगल में अम्मावारीपेट झील के पास एक स्पर-विंग्ड लैपविंग पक्षी को देखा गया।
स्पर-विंग्ड लैपविंग
- इसका वैज्ञानिक नाम वेनेलस स्पिनोसस (Vanellus spinosus) है।
- यह एक शिकारी पक्षी हैं, जो शिकार की परिस्थितियों के अनुसार दिन एवं रात में सक्रिय रहता है।
- यह उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों का मूल निवासी है।
- इसकी लंबाई 28 से 31 सेंटीमीटर होती है।
- इनका वजन 128 से 330 ग्राम होता है।
- इनके पंखों का फैलाव 82 से 87 सेंटीमीटर लंबा होता है।
विशेषता
- यह कबूतर के आकार का गठीले शरीर और मजबूत पैरों वाला पक्षी है।
- इनकी भूरे, काले और सफेद पंख और चमकदार लाल आंखें होती हैं।
- ये मिलनसार पक्षी हैं, जो साथियों को आकर्षित करने, क्षेत्र की रक्षा करने और खतरों का संकेत देने के लिए कई अलग-अलग स्वरों का उपयोग करते हैं।
- नर स्पर-विंग्ड लैपविंग नृत्य करके और पुकारकर मादाओं का सम्मान करते हैं।
पर्यावास
- यह ताजे या खारे पानी के निकायों के पास दलदल, खेती योग्य भूमि, घास का मैदान, बंजर भूमि, झीलों, तालाबों और नदियों के किनारों पर पाया जाता है।
- इनके घोंसले पानी के पास कम वनस्पति वाले क्षेत्रों में जमीन में खोदे गए छोटे-छोटे छेदों से बने होते हैं।
आहार
- यह मुख्य रूप से कीड़े, कीट लार्वा और अन्य अकशेरुकी जीवों का भोजन करते हैं।
- यह बहुत सारे अकशेरुकी जीवों को खाकर पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अकशेरुकी आबादी को विनियमित करने में सहायता करते हैं।