ओडिशा द्वारा सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व (STR) के निकट स्थापित विश्व की पहली मेलानिस्टिक टाइगर सफारी का अनावरण किया जाएगा।
मेलानिस्टिक टाइगर सफारी के लिये ओडिशा का दृष्टिकोण
- मेलानिज़्म तथा मेलानिस्टिक टाइगर: मेलानिज़्म एक आनुवंशिक स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप मेलानिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे जानवरों की त्वचा अथवा बालों का रंग लगभग या पूरी तरह से काला होता है।
- सिमलीपाल के रॉयल बंगाल टाइगर्स का संबंध एक विशेष वंश से है जिनमें मेलानिन की अत्यधिक मात्रा होती है जिसके परिणामस्वरूप बाघों के शरीर पर काली तथा पीली अंतर-छिद्रित धारियाँ विकसित होती हैं जो उन्हें स्यूडो अथवा छद्म-मेलानिस्टिक बनाते हैं।
- अखिल भारतीय बाघ अनुमान, 2022 के अनुसार सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व में 16 बाघ हैं जिनमें से 10 मेलानिस्टिक गुण हैं।
- सफारी की अवस्थिति: धनबाद-बालासोर राष्ट्रीय राजमार्ग-18 के निकट लगभग 200 हेक्टेयर में विस्तरित यह सफारी स्थल STR के समीप स्थित है जिसका परिदृश्य सिमलीपाल के सामान है।
- प्रारंभ में सफारी के परिबद्ध घेरे में, नंदनकानन चिड़ियाघर के तीन मेलानिस्टिक बाघ के साथ-साथ अन्य बचाए गए अथवा अनाथ बाघों को रखा जाएगा।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य मेलानिस्टिक बाघों की संरक्षण आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, शोधकर्त्ताओं तथा इच्छुक लोगों को इन दुर्लभ बड़ी बिल्लियों के साथ जुड़ने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- अनुमोदन: इस परियोजना के लिये केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण तथा देश में वन्यजीव पहल की देखरेख करने वाले अन्य नियामक निकायों से अनुमोदन की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण समिति द्वारा अंतिम मंज़ूरी देने से पूर्व इस प्रस्तावित स्थल का व्यवहार्यता संबंधी अध्ययन किया जाएगा।
बाघों में अन्य रंग भिन्नताएँ
- काली अथवा भूरी धारियों वाला ऑरेंज टाइगर: यह बाघ का सबसे सामान्य तथा व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त प्रकार है। उदाहरणार्थ रॉयल बंगाल टाइगर।प्रत्येक बाघ का धारी पैटर्न अद्वितीय होता है जो प्राकृतिक आवास में छद्मावरण (Camouflage) के रूप में कार्य करता है।
- व्हाइट टाइगर: उन्हें एक अलग उप-प्रजाति नहीं माना जाता है। व्हाइट टाइगर के फर का रंग ल्यूसिज़्म नामक आनुवंशिक उत्परिवर्तन का परिणाम है।ल्यूसिज़्म एक आनुवंशिक स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप जानवरों में रंजकता कम हो जाती है, जिससे उनकी त्वचा अथवा शल्क सफेद या हल्के रंग के हो जाते हैं।
- गोल्डन टाइगर: इन्हें बाघों की उप-प्रजाति भी नहीं माना जाता है क्योंकि उनके सुनहरे रंग में भिन्नता “वाइडबैंड” नामक एक अप्रभावी जीन की उपस्थिति के कारण होती है।वाइडबैंड जीन बालों के विकास के चक्र के दौरान मेलेनिन उत्पादन को कम कर देता है।हाल ही में इसे काज़ीरंगा नेशनल पार्क में देखा गया।
सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व
- अवस्थिति: सिमलीपाल दक्कन प्रायद्वीप जैव-भौगोलिक क्षेत्र में स्थित है।
- वनस्पतियाँ: इसमें उष्णकटिबंधीय अर्द्ध-सदाबहार वन, उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती वन, शुष्क पर्णपाती पहाड़ी वन और विशाल घास के मैदान मौजूद हैं।
- फ्लोरा: भारत के 7% फूल वाले पौधे और 8% ऑर्किड प्रजातियाँ यहीं हैं।
- वनस्पति और जीव: 55 स्तनपायी प्रजातियाँ, 361 पक्षी प्रजातियाँ, 62 सरीसृप प्रजातियाँ, 21 उभयचर प्रजातियाँ और असंख्य कीड़े तथा सूक्ष्म जीवों का घर।
- बाघों के अलावा प्रमुख प्रजातियों में सांभर, चीतल, भौकने वाला हिरण, गौर और माउस हिरण, तेंदुए, मछली पकड़ने वाली बिल्ली आदि शामिल हैं।
- प्रबंधन प्रयासों ने खैरी और देव नदियों के किनारे मगरमच्छों की आबादी को पुनर्जीवित कर दिया है।
- इसे वर्ष 2009 से ग्लोबल नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फियर साइट के रूप में भी नामित किया गया है।