सोम. मई 6th, 2024
  • भारत की आजादी से जुड़ी वाराणसी की तिरंगा बर्फी को जीआई उत्पाद का दर्जा दिया गया है।
  • साथ ही वाराणसी के एक अन्य उत्पाद ढलुआ मूर्ति धातु शिल्प (मेटल कास्टिंग क्राफ्ट) को भी जीआई श्रेणी में शामिल किया गया है।
  • 16 अप्रैल 2024 को चेन्नई स्थित जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) रजिस्ट्री कार्यालय ने नए उत्पादों की लिस्ट जारी की है।
  • इस टैग के बाद वाराणसी के इन उत्पादों को बाजार में अब एक विशेष पहचान मिलेगी। इस तरह बनारस क्षेत्र के कुल 34 उत्पादों और उत्तर प्रदेश में अब कुल 75 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है।
  • काशी को सर्वाधिक विविधता वाला जीआई शहर भी कहा जाता है।
  • यह किसी भू-भाग विशेष के नाम सर्वाधिक बौद्धिक संपदा अधिकार का रिकार्ड माना जा रहा है।

वाराणसी के तिरंगा बर्फी

  • देश की स्वतंत्रता के आंदोलन के समय क्रांतिकारियों की खुफिया मीटिंग व गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए तिरंगा बर्फी का इजाद किया गया था।
  • इसमें केसरिया रंग के लिए केसर, हरे रंग के लिए पिस्ता और बीच में सफेद रंग के लिए खोया व काजू का उपयोग किया जाता है।

वाराणसी ढलुआ शिल्प

  • बनारस के काशीपुरा मोहल्ले में बनाया जाने वाले इस ढलुआ शिल्प का आज देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में पहचान मिली है।
  • यहाँ बनने वाली मूर्तियों माँ अन्नपूर्णा, लक्ष्मी-गणेश, दुर्गाजी, हनुमानजी इत्यादि की मूर्तियां काफी प्रसिद्ध हैं। साथ ही विभिन्न प्रकार के यंत्र, नक्सीदार घंटी-घंटा, सिंहासन, आचमनी पंचपात्र व सिक्कों की ढलाई वाले सील भी विख्यात रहे हैं।

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