शुक्र. मई 17th, 2024

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डालने वाली “एशिया महाद्वीप में जलवायु की स्थिति (State of the Climate in Asia), 2023” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।इस रिपोर्ट में एशियाई महाद्वीप में चरम मौसमी घटनाओं, बढ़ते तापमान और पर्यावरणीय परिवर्तनों के गंभीर परिणामों पर प्रकाश डाला गया है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

सर्वाधिक आपदा-प्रवण क्षेत्र के रूप में एशिया

  • वर्ष 2023 में एशिया में 79 चरम मौसमी घटनाएँ घटित हुईं जिससे नौ मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए।
  • इन आपदाओं के कारण 2,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
  • बाढ़ व तूफान के कारण वर्ष 2023 में एशिया में सबसे अधिक मौतें और साथ ही आर्थिक हानि हुई।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक औसत की तुलना में एशिया महाद्वीप तेज़ी से तापमान वृद्धि हुई है और वर्ष 1961-1990 की अवधि के बाद से वार्मिंग की प्रवृत्ति लगभग दोगुनी हो गई है।
  • रिपोर्ट में सतही तापमान, हिमनद के पीछे हटने और समुद्र स्तर में वृद्धि जैसे प्रमुख जलवायु परिवर्तन संकेतकों की तीव्र दर के कारण एशिया, यहाँ की अर्थव्यवस्था व पारिस्थितिक तंत्र पर संभावित गंभीर परिणामों पर विशेष बल दिया गया है।

भारत पर प्रभाव

  • भारत को भीषण हीटवेव, वर्षा-प्रेरित बाढ़, हिमनद झील में विस्फोट और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का सामना करना पड़ा।
  • अप्रैल और जून 2023 में, भीषण हीटवेव के कारण लगभग 110 मौतें हुईं, इसी दौरान कुछ क्षेत्रों में तापमान 42-43 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया।
  • अप्रैल और मई में लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव के कारण दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्से प्रभावित हुए, इसके साथ ही, इसके प्रभाव पश्चिम की ओर बांग्लादेश व पूर्वी भारत तथा चीन के कुछ हिस्सों तक भी देखे गए।
  • अगस्त 2023 में बाढ़ की घटनाओं के फलस्वरूप हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बड़ी संख्या में मौतें हुईं, जिससे बुनियादी अवसंरचनाओं एवं कृषि क्षेत्र को अत्यधिक हानि हुई।
  • उत्तरी हिंद महासागर में उत्पन्न हुए छह उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से चार के प्रभाव भारत में देखे गए।
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि चक्रवात संबंधी गतिविधि औसत से थोड़ी अधिक थी। छह चक्रवातों में से बंगाल की खाड़ी में चार- मोखा, हामून, मिधिली और मिचौंग तथा अरब सागर के उपर दो- बिपरजॉय व तेज़ चक्रवात निर्मित हुए।
  • भारत के पूर्वी और उत्तरी हिस्सों में वर्ष 1991-2021 के औसत की तुलना में सर्वाधिक तापमान वृद्धि दर्ज की गई।
  • बंगाल की खाड़ी में समुद्र स्तर में वृद्धि वैश्विक औसत से 30% अधिक रही, विशेष रूप से सुंदरबन क्षेत्र में।

बढ़ता तापमान और पिघलते हिमनद

  • वर्ष 2023 में एशिया में सतही तापमान का वार्षिक औसत अब तक दर्ज किया गया दूसरा सर्वाधिक तापमान था।
  • हिमनदों के पिघलने के कारण उच्च पर्वतीय एशिया क्षेत्र (जहाँ ध्रुवीय क्षेत्रों के अतिरिक्त बर्फ की सबसे बड़ी मात्रा मौजूद है) खतरे में है।

सामान्य से कम वर्षा और विनाशकारी बाढ़

  • वर्ष 2023 में लगभग पूरे एशियाई क्षेत्र में सामान्य से कम वर्षा हुई।
  • कम वर्षा के बावजूद, एशिया में रिपोर्ट किये गए जल-मौसम संबंधी खतरों में से 80% से अधिक बाढ़ और तूफान की घटनाएँ थीं, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हुईं तथा लाखों लोग प्रभावित हुए।
  • रिपोर्ट की गई घटनाओं में सर्वाधिक मौतें बाढ़ के कारण हुईं, विशेष रूप से भारत, यमन और पाकिस्तान में।

एक ठोस जलवायु वित्त व्यवस्था की आवश्यकता

  • इस रिपोर्ट में एशिया के विकासशील देशों में अनुकूलन को बढ़ाने और क्षति को कम करने के लिये एक मज़बूत जलवायु वित्त तंत्र की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष संगठन है जो पृथ्वी के वायुमंडल, समुद्र, जलवायु और जल संसाधनों के अग्रणी प्राधिकारी के रूप में कार्य करता है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) के रूप में की गई थी, IMO वर्ष 1951 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी के रूप में नामित एक गैर-सरकारी संगठन है।
  • इस परिवर्तन ने इसे मौसम विज्ञान के अंतर्राष्ट्रीय पहलुओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद की।
  • WMO का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है, तथा इसमें भारत सहित 192 सदस्य राज्य और क्षेत्र हैं।
  • WMO की शासन संरचना में विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस सर्वोच्च निकाय है।
  • WMO को छह क्षेत्रीय संघों और आठ तकनीकी आयोगों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक मौसम विज्ञान, जल विज्ञान अथवा संबद्ध विज्ञान के एक विशिष्ट घटक पर केंद्रित है।
  • 23 मार्च 1950 को इस अभिसमय की स्थापना के उल्पक्ष्य में WMO 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाता है।
  • यह समाज की सुरक्षा और कल्याण के लिये राष्ट्रीय मौसम विज्ञान एवं जल विज्ञान सेवाओं की प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालता है तथा वैश्विक स्तर पर इस संगठन की गतिविधियाँ इसका प्रमाण हैं।

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