सोम. मई 20th, 2024

भारतीय उद्योग परिसंघ ने स्टार्टअप्स के लिये एक कॉर्पोरेट गवर्नेंस चार्टर लॉन्च किया है, जिसमें एक स्व-मूल्यांकन स्कोरकार्ड भी शामिल है।यह उस अवधि के दौरान हुआ है जब Byju’s, BharatPe और Zilingo जैसी कंपनियों ने पिछले 12-18 महीनों में शासन मानदंडों के विषय में चिंता व्यक्त की है।

चार्टर के प्रमुख प्रावधान

  • चार्टर स्टार्टअप्स के लिये कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिये सुझाव प्रदान कर स्टार्टअप के विभिन्न चरणों के लिये  उपयुक्त दिशानिर्देश प्रदान करेगा, जिसका लक्ष्य शासन प्रथाओं को बढ़ाना है।
  • भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस नियमों, प्रथाओं और प्रक्रियाओं का एक समूह है जिसके द्वारा एक कंपनी निर्देशित तथा नियंत्रित होती है।

स्व-मूल्यांकनात्मक गवर्नेंस स्कोरकार्ड

  • चार्टर में एक ऑनलाइन स्व-मूल्यांकनात्मक गवर्नेंस स्कोरकार्ड शामिल है जिसका उपयोग स्टार्टअप अपनी वर्तमान शासन स्थिति और समय के साथ इसके सुधार का मूल्यांकन करने के लिये कर सकते हैं।
  • यह स्टार्टअप्स को अपनी शासन प्रगति को मापने की अनुमति देगा, समय-समय पर स्कोरकार्ड के आधार पर मूल्यांकन किये गए स्कोर परिवर्तन के साथ शासन प्रथाओं में सुधार का संकेत मिलेगा।

स्टार्टअप हेतु मार्गदर्शन के 4 प्रमुख चरण

आरंभिक चरण में: स्टार्टअप का केंद्र बिंदु इनके गठन पर होगा:

  • बोर्ड का गठन,
  • अनुपालन निगरानी,
  • लेखांकन, वित्त, बाह्य लेखापरीक्षा, संबंधित-पक्ष लेनदेन के लिये नीतियाँ और
  • संघर्ष समाधान तंत्र की स्थापना

प्रगति चरण में:  स्टार्टअप अतिरिक्त रूप से निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित कर सकता है:

  • प्रमुख व्यावसायिक मेट्रिक्स की निगरानी करना,
  • आंतरिक नियंत्रण बनाये रखना,
  • निर्णय लेने के पदानुक्रम को परिभाषित करना और
  • एक लेखापरीक्षा समिति का गठन.

विकास चरण हेतु: केंद्र इस पर होगा:

  • किसी संगठन के दृष्टिकोण, मिशन, आचार संहिता, संस्कृति और नैतिकता के प्रति हितधारक जागरूकता का निर्माण करना,
  • बोर्ड में विविधता व समावेशन सुनिश्चित करना, तथा
  • कंपनी अधिनियम 2013 और अन्य लागू कानूनों तथा विनियमों के अनुसार, वैधानिक आवश्यकताओं को पूर्ण करना।

सार्वजनिक मंच पर: स्टार्टअप का ध्यान इन केंद्र इस पर होगा:

  • विभिन्न समितियों की कार्यप्रणाली की निगरानी के संदर्भ में अपने गवर्नेंस का विस्तार करना,
  • धोखाधड़ी की रोकथाम और पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करना,
  • सूचना विषमता को न्यूनतम करना,
  • बोर्ड के प्रदर्शन का मूल्यांकन करनाI

स्टार्टअप

  • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade – DPIIT) के अनुसार, मान्यता के लिये पात्रता प्राप्त करने हेतु, एक स्टार्टअप को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना होगा:
  • उसे स्थापना के बाद से व्यवसाय में दस वर्षों से अधिक समय न हुआ हो।
  • एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, एक पंजीकृत साझेदारी फर्म, अथवा एक सीमित देयता भागीदारी के रूप में पंजीकृत होनी चाहिये।
  • कंपनी का वार्षिक कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 100 करोड़ रुपए से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • स्टार्ट-अप को पहले से मौज़ूद व्यवसाय को विभाजित करके अथवा पुनर्निर्माण करके न बनाया गया हो।

भारत में स्टार्टअप का परिदृश्य

  • भारत के पास विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और वर्ष-दर-वर्ष 12-15% की लगातार वार्षिक वृद्धि का अनुमान है।
  • भारत मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैज्ञानिक प्रकाशनों की गुणवत्ता और अपने विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में शीर्ष स्थान के साथ नवाचार गुणवत्ता में दूसरे स्थान पर है।
  • मई 2023 तक के आँकड़ों के अनुसार, भारत में 108 यूनिकॉर्न हैं और उनका संयुक्त मूल्य 340.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस

  • किसी कंपनी की नीतियों, प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों की प्रणाली जिसे कॉर्पोरेट गवर्नेंस के रूप में जाना जाता है, जिसका कंपनी के द्वारा ही मार्गदर्शन और नियंत्रण किया जाता है। यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि कंपनियों का प्रबंधन नैतिक रूप से और उनके हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाए।
  • यह व्यक्तियों को उनके कृत्यों के लिये जवाबदेह बनाता है और सख्त नैतिक मानकों को कायम रखता है।

कॉर्पोरेट गवर्नेंस के सिद्धांत

  • निष्पक्षता: निदेशक मंडल को शेयरधारकों, कर्मचारियों, विक्रेताओं और समुदायों के साथ निष्पक्षता एवं समानता का व्यवहार करना चाहिये।
  • जवाबदेही: बोर्ड से कंपनी के व्यवहार पर रिपोर्ट करने और इसके संचालन के पीछे के लक्ष्यों की व्याख्या प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है।
  • पारदर्शिता: बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि शेयरधारकों और अन्य हितधारकों को वित्तीय प्रदर्शन, हितों के टकराव तथा जोखिमों के बारे में समय पर, सटीक एवं स्पष्ट जानकारी प्रदान की जाए।
  • जोखिम प्रबंधन: बोर्ड और प्रबंधन विभिन्न जोखिमों की पहचान करने तथा उन्हें नियंत्रित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं। उन्हें इन जोखिमों का प्रबंधन करने के लिये सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिये और संबंधित पक्षों को उनके अस्तित्व एवं स्थिति के बारे में सूचित किया जाना चाहिये। 

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