रवि. मई 19th, 2024

भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्‍था (Indian Renewable Energy Development Agency- IREDA) ने लोक उद्यम विभाग (Department of Public Enterprises) से  ‘नवरत्न’ का दर्जा प्राप्त कर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।इरेडा (IREDA) की स्थापना वर्ष 1987 में एक गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में की गई थी, यह नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) के अधीन कार्य करता है तथा नवीकरणीय ऊर्जा/अक्षय ऊर्जा स्रोतों से संबंधित परियोजनाओं को प्रोत्साहित करता है व उनका विकास करता है।

नवरत्न विशेषाधिकार: नवरत्न का दर्जा प्राप्त कंपनियाँ  केंद्रीय प्राधिकरण की मंज़ूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश कर सकती हैं, प्रति वर्ष निवल मूल्य का 30% आवंटित कर सकती हैं तथा संयुक्त उद्यम एवं विदेशी सहायक कंपनियों में भागीदारी कर सकती हैं।अर्हता मानदंड: नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने के लिये कंपनियों को मिनीरत्न श्रेणी-I का दर्जा प्राप्त होना चाहिये तथा CPSE की अनुसूची ‘A’ में सूचीबद्ध होना चाहिये।

CPSEs का वर्गीकरण
श्रेणीशुरुआतमानदंडउदाहरण
महारत्नCPSEs के लिये महारत्न योजना मई 2010 में शुरू की गई थी, ताकि मेगा CPSEs को अपने संचालन का विस्तार करने और वैश्विक दिग्गजों के रूप में उभरने के लिये सशक्त बनाया जा सके।कंपनियों को नवरत्न का दर्जा प्राप्त होना चाहिये।कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India- SEBI) के नियामकों के अंतर्गत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक हिस्सेदारी (Minimum Prescribed Public Shareholding) के साथ भारतीय शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होना चाहिये।विगत तीन वर्षों की अवधि में औसत वार्षिक व्यवसाय (Average Annual Turnover) 25,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।पिछले तीन वर्षों में औसत वार्षिक निवल मूल्य (Average Annual Net Worth) 15,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।पिछले तीन वर्षों का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ (Average Annual Net Profit) 5,000 करोड़ रुपए से अधिक होना चाहिये।कंपनियों की व्यापार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति होनी चाहिये।भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, गेल (इंडिया) लिमिटेड, आदि।
नवरत्ननवरत्न योजना वर्ष 1997 में शुरू की गई थी ताकि उन CPSEs की पहचान की जा सके जो अपने संबंधित क्षेत्रों में तुलनात्मक लाभ प्राप्त करते हैं और वैश्विक अभिकर्त्ता बनने के उनके अभियान में उनका समर्थन करते हैं।  मिनीरत्न श्रेणी I और अनुसूची ‘A’ के तहत आने वाली CPSEs, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में से तीन में समझौता ज्ञापन प्रणाली के तहत उत्कृष्टया बहुत अच्छीरेटिंग प्राप्त की है और छह प्रदर्शन मापदंडों में 60 या उससे अधिक का समग्र स्कोर प्राप्त किया हो। ये छह मापदंड हैं:शुद्ध पूंजी और शुद्ध लाभउत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष मैनपॉवर पर आने वाली कुल लागतमूल्यह्रासके पहले कंपनी का लाभ, वर्किंग कैपिटल पर लगा टैक्स और ब्याजब्याज भुगतान से पहले लाभ और कुल बिक्री पर लगा करप्रति शेयर कमाईअंतर-क्षेत्रीय प्रदर्शनभारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, आदि।
मिनीरत्नमिनीरत्न योजना की शुरुआत वर्ष 1997 में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक कुशल एवं प्रतिस्पर्द्धी बनाने और लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अधिक स्वायत्तता तथा शक्तियों का प्रत्यायोजन प्रदान करने के नीतिगत उद्देश्य के अनुसरण में की गई थी।मिनीरत्न श्रेणी1: मिनीरत्न कंपनी श्रेणी 1 का दर्जा प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि कंपनी ने पिछले तीन वर्षों से लगातार लाभ प्राप्त किया हो तथा तीन साल में एक बार कम से कम 30 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो।मिनीरत्न श्रेणी2 : CPSE द्वारा पिछले तीन साल से लगातार लाभ अर्जित किया हो और उसकी निवल संपत्ति सकारात्मक हो, वे मिनीरत्न- II का दर्जा पाने के लिये पात्र हैं।श्रेणी-1: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड, आदि। श्रेणी-2: भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (ALIMCO ), भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (BPCL), आदि।

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