भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में कई स्थानों पर सौर पैनलों द्वारा बिजली में परिवर्तित करने के लिए उपलब्ध सौर विकिरण की मात्रा चिंताजनक रूप से कम होती जा रही है।
सौर विकिरण उपलब्धता की स्थिति
- सौर फोटोवोल्टिक (Solar Photovoltaic : SPV) विकिरण की वह मात्रा है जो सौर पैनलों द्वारा बिजली में परिवर्तित करने के लिए व्यावहारिक रूप से उपलब्ध हो सकती है।
- वर्तमान में में सभी स्टेशनों में एस.पी.वी. क्षमता में सामान्य गिरावट देखी गई है जिसमें अहमदाबाद, चेन्नई, गोवा, जोधपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पुणे, शिलांग, तिरुवनंतपुरम और विशाखापत्तनम शामिल हैं।
- भारत के सबसे बड़े सौर पार्क उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में विशेष रूप से गुजरात एवं राजस्थान में स्थित हैं।
- इन दोनों राज्यों के शहरों में भी एस.पी.वी. क्षमता में कमी देखी जा रही है।
- वर्तमान स्थिति के अनुसार भारत की स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता लगभग 81 गीगावॉट या कुल स्थापित बिजली क्षमता का लगभग 17% है।
सौर विकिरण में कमी के कारण
एरोसोल भार
- वैज्ञानिकों ने बढ़े हुए एरोसोल भार को कम होते सौर विकिरण का मुख्य कारण माना है।
- एरोसोल मुख्यतः कार्बन उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन जलने और धूल से निकलने वाले महीन कण से निर्मित होते हैं।
- एरोसोल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर इसे पृथ्वी से दूर विक्षेपित कर देते हैं।
घने बादल
- एरोसोल एवं अन्य प्रदूषकों से निर्मित घने बादल सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध कर देते हैं।
- सौर पैनलों की कार्यक्षमता उन पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी की मात्रा से काफी प्रभावित होती है।
सौर विकिरण की अनिश्चित प्रवृत्ति
- पृथ्वी पर उपलब्ध सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करने में एरोसोल की भूमिका 1980 के दशक से स्पष्ट रही है।
- हालाँकि इसमें समय एवं स्थान के साथ भिन्नता पाई जाती है।
- वर्ष 1981-2006 तक वैश्विक सौर विकिरण में सामान्यत: कमी की प्रवृत्ति देखी गई।
- वर्ष 1971-2000 में वर्ष 1981-2006 की तुलना में अधिक मंदता देखी गई।
- वर्ष 2001 के बाद रुझानों में उलटफेर हुआ और सटीक कारण स्पष्ट नहीं हुए हैं ।
- सौर विकिरण में निरंतर घटती प्रवृत्ति भारत के नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य की प्राप्ति को प्रभावित कर सकता है।
भारत का सौर ऊर्जा लक्ष्य
- भारत की वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से लगभग 500 गीगावॉट बिजली प्राप्त करने की महत्वाकांक्षी योजना है।
- इसके लिए लक्षित वर्ष तक कम से कम 280 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ने की आवश्यकता होगी।
- इसका अर्थ है कि वर्तमान परिदृश्य में भारत को प्रतिवर्ष लगभग 40 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन करना होगा।
- विगत पाँच वर्षों में यह मुश्किल से 13 गीगावॉट को पार कर गया है।
- हालाँकि सरकार ने दावा किया है कि कोविड-19 ने इस प्रक्षेपवक्र को प्रभावित किया है।
- भारत आने वाले वर्षों में सालाना 25-40 गीगावॉट जोड़ने की राह पर है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष की शुरुआत में देश भर में कम से कम एक करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा स्थापित करने के लिए पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की घोषणा की थी।