भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लघु वित्त बैंकों (SFB) को एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के माध्यम से पूर्व-स्वीकृत ऋण (लोन) लाइनें बढ़ाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।इसका उद्देश्य विशेष रूप से ‘क्रेडिट के लिये नए’ ग्राहकों के लिये वित्तीय समावेशन में वृद्धि करना और औपचारिक ऋण को बढ़ाना है।नोट: सितंबर 2023 में, UPI के दायरे का विस्तार किया गया ताकि पूर्व-स्वीकृत क्रेडिट लाइनों को UPI के माध्यम से जोड़ा जा सके और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा फंडिंग खाते के रूप में उपयोग किया जा सके।हालाँकि, इसमें भुगतान बैंक, लघु वित्त बैंक (SFB) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शामिल नहीं हैं।
लघु वित्त बैंक
- SFB विशेष वित्तीय संस्थान हैं जो बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत RBI द्वारा विनियमित होते हैं।
- उच्च प्रौद्योगिकी और कम लागत वाले संचालनों का उपयोग करके ऋण आपूर्ति बढ़ाने के लिये वर्ष 2014-15 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की गई थी।
- इसकी स्थापना नचिकेत मोर समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
- पंजीकरण: SFB को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक सार्वजनिक लिमिटेड कंपनी के रूप में पंजीकृत किया जाता है।
- उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य समाज के वंचित और असेवित वर्गों में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है।
- यह लघु व्यवसाय इकाइयों, छोटे और सीमांत किसानों, सूक्ष्म और लघु उद्योगों और अन्य असंगठित क्षेत्र की संस्थाओं की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- SFB का अधिदेश: उन्हें अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (ANBC) का 75% कृषि, MSME और कमज़ोर वर्गों सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आवंटित करना होगा।
- ग्रामीण बैंकिंग पहुँच में सुधार के लिये SFB की कम-से-कम 25% शाखाएँ बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होनी चाहिये।
- पूंजी की आवश्यकता: SFB बैंक स्थापित करने के लिये न्यूनतम 200 करोड़ रुपए की पूंजी की आवश्यकता होती है।