शनि. नवम्बर 16th, 2024

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत एक संस्था, केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआरआईडीए) ने एक प्रकार की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पर काम करना शुरू कर दिया, जिसे ‘किसान संकट सूचकांक’ कहा जाता है।इस तरह के सूचकांक को बनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य फसल हानि / विफलता और आय के झटके के रूप में कृषि संकट को कम करना है।सूचकांक इस संकट का अनुमान लगाने और केंद्रीय, राज्य, स्थानीय और गैर-सरकारी एजेंसियों सहित विभिन्न हितधारकों को पूर्व चेतावनी देकर कुछ किसानों से गांव या ब्लॉक स्तर तक इसके प्रसार को रोकने का प्रयास करेगा।

संकट की निगरानी के लिये पद्धति: इस सूचकांक के विकास में अनेक चरण शामिल हैं।

  • किसानों के संकट के उदाहरणों की पहचान करने के लिये स्थानीय समाचार पत्रों, समाचार प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया की पड़ताल की जाती है जिसमें ऋण चुकाने के मुद्दे, आत्महत्याएँ, कीट का हमला, सूखा, बाढ़ और प्रवासन शामिल हैं।
  • फिर इस जानकारी को क्षेत्र के छोटे, सीमांत और पट्टेदार किसानों के साथ टेलीफोनिक साक्षात्कारों द्वारा पूर्ण किया जाता है।
  • इन साक्षात्कारों में संकट के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किये गए 21 मानकीकृत प्रश्न शामिल हैं।

प्रतिक्रियाओं को सात संकेतकों के विरुद्ध मैप किया जाता है

  • जोखिमों का खुलासा
  • ऋृण
  • अनुकूली क्षमता
  • भूमि अधिग्रहण
  • सिंचाई सुविधाएँ
  • शमन रणनीतियाँ
  • तत्काल प्रतिक्रिया
  • सामाजिक-मनोवैज्ञानिक कारक

सूचकांक की व्याख्या

  • एकत्र किये गए डेटा और प्रतिक्रियाओं के आधार पर सूचकांक संकट के स्तर को इंगित करने के लिये 0 और 1 के बीच एक मान निर्दिष्ट करेगा। 
  • 0 से 0.5: कम संकट
  • 0.5 से 0.7: मध्यम संकट
  • 0.7 से ऊपर: गंभीर संकट
  • यदि संकट का स्तर गंभीर है, तो सूचकांक सात संकेतकों में से किसानों के संकट में सबसे अधिक योगदान देने वाले विशिष्ट घटक की पहचान करता है।

महत्त्व

  • विभिन्न एजेंसियाँ संकट की गंभीरता के आधार पर किसानों को आय की हानि से बचाने के लिये हस्तक्षेप कर सकती हैं।
  • वर्तमान के जिन समाधानों पर विचार किया जा रहा है उनमें प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण, फसल खराब होने की स्थिति में सरकार की फसल बीमा योजना के अंतर्गत दावों को मध्यावधि में जारी करना आदि शामिल हैं।
  • उदाहरणतः PMFBY (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) के अंतर्गत बीमा दावे केवल तभी दिये जाते हैं जब सर्वेक्षण पूरा हो जाता है, लेकिन इस मामले में यदि सूचकांक आने वाले कुछ सप्ताह में गंभीर संकट का सुझाव देता है, तो सरकार इस योजना के अंतर्गत अंतरिम राहत प्रदान कर सकती है।

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