रवि. मई 19th, 2024

भारत ने वियतनाम के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा देते हुए मिसाइल से लैस अपने युद्धपोत ‘आईएनएस कृपाण’ को 22 जुलाई 2023 को वियतनाम को उपहार के रूप में सौंप दिया। हालांकि, इससे चीन को आपत्ति जरूर हो सकती है क्योंकि वियतनाम का दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है। इसके बाद भी भारत ने चीन की चिंता किए बिना यह कदम उठाया है।

आईएनएस कृपाण

  • आईएनएस कृपाण खुकरी श्रेणी की मिसाइल कार्वेट है।
  • यह लगभग 12 अधिकारियों 100 नाविकों द्वारा संचालित है । 90 मीटर लंबा 10.45 मीटर चौड़ा है और अधिकतम विस्थापन (maximum displacement) 1,450 टन है।
  • इसे 12 जनवरी, 1991 को नौसेना में शामिल किया गया था।
  • इसमे सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें लगी हुई हैं।
  • यह तटीय और अपतटीय गश्त, तटीय सुरक्षा, सतह युद्ध, समुद्री डकैती रोधी, मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन सहित विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं करने में सक्षम हैं।
  • कृपाण का हस्तांतरण एक ऐसा उदाहरण है जिसमें भारत और वियतनाम पनडुब्बी बचाव सहायता और सहयोग के साथ-साथ रखरखाव के क्षेत्र में भी अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए तत्पर हैं।
  • दक्षिण चीन सागर में बढ़ते चीनी प्रभाव के बीच यह विकास महत्वपूर्ण है, जो क्षेत्र में वियतनाम के साथ क्षेत्रीय विवादों को जन्म दे रहा है।
  • एक देश के रूप में, वियतनाम भारत का सहयोगी रहा है और पिछले कुछ वर्षों में उसने हमेशा चीनी दबाव का विरोध किया है।

प्रमुख बिंदु

  • रक्षा मंत्री ने 19 जून 2023 को अपने वियतनामी समकक्ष की यात्रा के दौरान वियतनाम को आईएनएस कृपाण उपहार में देने की घोषणा की थी । आईएनएस कृपाण स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट है।
  • भारतीय नौसेना से वीपीएन (Vietnam People’s Navy) में आईएनएस कृपाण का स्थानांतरण हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना के ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ होने की स्थिति का प्रतीक है।
  • यह निश्चित रूप से दोनों नौसेनाओं के बीच मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए उत्प्रेरक होगा।
  • भारत और वियतनाम के बीच गहरी दोस्ती और रणनीतिक साझेदारी को यह रेखांकित करता है ।
  • यह पहला अवसर है जब भारत किसी मित्र देश को पूरी तरह से ऑपरेशनल कार्वेट गिफ्ट कर रहा है।

भारत वियतनाम सहयोग

  • भारत और वियतनाम 1950 के दशक से करीबी राजनीतिक सहयोगी रहे हैं और उन्होंने दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एक-दूसरे के रुख का समर्थन किया है।
  • भारत और वियतनाम कई वर्षों से सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग कर रहे हैं। हाल के वर्षों में, दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के जवाब में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया है।
  • इस सहयोग में संयुक्त अभ्यास, खुफिया जानकारी साझा करना और समुद्री सुरक्षा शामिल है।
  • हनोई ने सितंबर 2014 में विस्तारित 100 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन (एलओसी) के 12 हाई स्पीड गश्ती नौकाएं खरीदी हैं।
  • 2016 में भारत ने 500 मिलियन डॉलर की एक और रक्षा एलओसी का विस्तार किया, जिसके कारण उपकरणों की पहचान करने के लिए चर्चा चल रही है।
  • भारत और वियतनाम ने 2016 से एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी साझा की है और रक्षा सहयोग इस साझेदारी का एक प्रमुख स्तंभ है।
  • वियतनाम भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और इंडो-पैसिफिक विजन में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।
  • इसमें दोनों देशों के बीच व्यापक संपर्क शामिल हैं, जिनमें रक्षा नीति संवाद, सैन्य से सैन्य आदान-प्रदान, उच्च स्तरीय यात्राएं, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में सहयोग, जहाज यात्राएं और द्विपक्षीय अभ्यास शामिल हैं।
  • दोनों देशों ने 2030 तक भारत-वियतनाम रक्षा साझेदारी पर एक संयुक्त दृष्टिकोण वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए थे और उनके बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए पारस्परिक रसद समर्थन( Mutual Logistics Support) पर एक समझौता किया गया।
  • वियतनाम समेत अन्य देश भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलें खरीदने पर विचार कर रहे हैं।

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