रवि. मई 19th, 2024

अमेरिकी निवेश बैंक जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपने उभरते बाजारों के मार्केट डेट इंडेक्स (Markets debt index) में भारतीय सरकारी बांड को शामिल करने का बड़ा फैसला लिया है।इस कदम से निवेशकों की संख्या में वृद्धि होने और संभावित रूप से रुपए के मूल्य में बढ़ोतरी होने की संभावना है।

JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक

  • JP मॉर्गन GBI-EM एक व्यापक रूप से अनुसरण किया जाने वाला और प्रभावशाली बेंचमार्क सूचकांक है जो उभरते बाज़ार देशों (विकासशील देशों) द्वारा जारी किये जाने वाले स्थानीय-मुद्रा-मूल्यवर्ग वाले सॉवरेन बॉण्ड के प्रदर्शन की निगरानी करता है।
  • इसे निवेशकों को उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के भीतर निश्चित आय बाज़ार का एक सटीक आकलन प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इसमें विभिन्न विकासशील देशों द्वारा जारी किये गए सरकारी बॉण्ड शामिल हैं।
  • पात्रता मानदंड के आधार पर समय के साथ बॉण्ड की संरचना में परिवर्तन हो सकता है।

भारत का समावेश

  • JP मॉर्गन ने 330 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संयुक्त सांकेतिक मूल्य वाले 23 भारतीय सरकारी बॉण्डों को GBI-EM में शामिल करने के लिये अनुकूल पाया है।
  • GBI-EM ग्लोबल डायवर्सिफाइड में भारत का योगदान अधिकतम 10% और GBI-EM ग्लोबल इंडेक्स में लगभग 8.7% तक पहुँचने की संभावना है।
  • JP मॉर्गन के अनुसार, भारत के स्थानीय बॉण्ड GBI-EM सूचकांक और इसके अन्य उप-सूचकांकों का हिस्सा होंगे, जो लगभग 236 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक फंड के लिये बेंचमार्क के रूप में कार्य करते हैं।

भारतीय बॉण्ड का JP मॉर्गन GBI-EM सूचकांक में समावेश का महत्त्व

निवेश आकर्षित करने में बढ़ोतरी

  • GBI-EM सूचकांक में भारत के समावेश के साथ देश निवेश आकर्षित करने वाले एक एक प्रतिष्ठित गंतव्य राष्ट्र के रूप में स्थापित हो जाएगा।
  • यह उभरते बाज़ारों में अवसर तलाशने वाले वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप संभावित रूप से आगामी 12-15 महीनों में 45-50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का पर्याप्त अंतर्वाह हो सकता है।

आर्थिक स्थिरता और वित्तपोषण में आसानी

  • यह समावेशन धन का वैकल्पिक स्रोत प्रदान करके भारत के राजकोषीय और चालू खाता घाटे से संबंधित वित्तपोषण बाधाओं को कम कर सकता है।
  • यह संरचनात्मक रूप से भारत के जोखिम प्रीमियम और फंडिंग लागत को कम करता है, जिससे आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है।
  • जोखिम प्रीमियम से तात्पर्य उस राशि से है जिसके द्वारा किसी जोखिम भरी परिसंपत्ति के रिटर्न की जोखिम-मुक्त परिसंपत्ति पर ज्ञात रिटर्न से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है।
  • इक्विटी मार्केट एक्सपोज़र सबसे प्रसिद्ध जोखिम प्रीमियम है, जो निवेशकों को दीर्घकालिक इक्विटी निवेश में एक्सपोज़र लेने के लिये पुरस्कृत करता है।

विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव

  • कॉर्पोरेट क्षेत्र: समावेशन से संपूर्ण प्राप्ति वक्र कम होने की उम्मीद है, जिससे कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिये वित्तपोषण की लागत कम हो जाएगी। संकीर्ण कॉर्पोरेट बांड प्रसार निवेश और व्यापार वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।प्राप्ति वक्र विभिन्न परिपक्वता अवधि के लिये ऋण पर ब्याज दरों का एक चित्रमय प्रतिनिधित्व है।
  • बैंकिंग क्षेत्र: सरकारी बॉन्ड्स को अपनाने के कम दबाव के साथ, बैंक आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देते हुए, निजी क्षेत्र को ऋण देने के लिये अधिक संसाधन आवंटित कर सकते हैं।
  • बुनियादी ढाँचा विकास: भारत में संचालित बुनियादी ढाँचा विकास पहल को बढ़ावा मिलता है क्योंकि समावेशन सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से दीर्घकालिक वित्तपोषण का एक स्थायी स्रोत प्रदान करता है।
  • मुद्रा अधिमुल्यन और स्थिरता:इस समावेशन से निवेशकों के विश्वास में वृद्धि के कारण भारतीय रुपए का अधिमूल्यन होगा।स्थिर विनिमय दर भारत में निवेश के आकर्षण को बढ़ाती है।
  • बाज़ार विकास और नवाचार:वैश्विक बाज़ारों में एकीकरण, चल रहे सुधारों और बढ़ी हुई बाज़ार पहुँच द्वारा समर्थित, बाज़ार के विकास को बढ़ावा देता है तथा दीर्घकालिक पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करता है।यह नवीन वित्तीय उत्पादों की शुरूआत के लिये मंच तैयार करता है।
  • अन्य देशों से बराबरी:भारत को GBI-EM ग्लोबल डायवर्सिफाइड इंडेक्स में अधिकतम 10% वेटेज तक पहुँचने की उम्मीद है, जो इसे चीन, ब्राज़ील, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे अन्य देशों के समकक्ष लाएगा।

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