बुध. मई 8th, 2024

वित्त मंत्रालय ने भारतीय GDP (सकल घरेलू उत्पाद) डेटा की विश्वसनीयता के संबंध में चिंताओं को संबोधित किया है, विशेष रूप से वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8% की वृद्धि के आलोक में।कई विशेषज्ञों ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद के आँकड़ों में विसंगति की ओर इशारा किया है, जो बिलबोर्ड पर आर्थिक विकास की सकारात्मक छवि को प्रस्तुत करते हैं, जबकि बढ़ती असमानताएँ, रोज़गार की कमी और विनिर्माण रोज़गार में गिरावट जैसे अंतर्निहित मुद्दे लगातार बने रहते हैं।

GDP आँकड़ों के संबंध में चिंताएँ

GDP गणना में विसंगतियाँ

  • सकल घरेलू उत्पाद व्यय घटकों के विश्लेषण से एक चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है जहाँ  सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में अधिकांश तत्त्वों में कमी आई है।
  • इसमें निजी खपत, सरकारी खर्च, कीमती वस्तु और निर्यात शामिल हैं।
  • आयात में थोड़ी वृद्धि हुई है, जबकि सकल स्थिर पूंजी निर्माण (परिसंपत्तियों में निवेश) और स्टॉक में परिवर्तन (इन्वेंट्री परिवर्तन) स्थिर बने हुए हैं।
  • इसलिये, GDP  गणना में एक अस्पष्ट अंतर दिखाई देता है, जो रिपोर्ट किये गए आर्थिक आँकड़ों की सटीकता पर सवाल उठाता है।

दोहरी GDP गणना के तरीके

  • भारत की GDP की गणना दो अलग-अलग तरीकों का उपयोग करके की जाती है: आर्थिक गतिविधि (कारक लागत पर) और व्यय (बाज़ार कीमतों पर)।

कारक लागत पद्धति आठ विभिन्न उद्योगों के प्रदर्शन का आकलन करती है। इस लागत में निम्नलिखित आठ उद्योग क्षेत्रों पर विचार किया जाता है:

  1. कृषि, वानिकी, और मत्स्य पालन,
  2. खनन एवं उत्खनन,
  3. उत्पादन,
  4. बिजली, गैस, जल आपूर्ति, और अन्य उपयोगिता सेवाएँ,
  5. निर्माण,
  6. व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण,
  7. वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएँ,
  8. लोक प्रशासन, रक्षा, और अन्य सेवाएँ

सार्वजनिक धारणा पर प्रभाव

  • विशेषज्ञ चिंता व्यक्त करते हैं कि GDP आँकड़ों के माध्यम से आर्थिक विकास की अत्यधिक सकारात्मक छवि प्रस्तुत करने से आबादी के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के सामने आने वाले आर्थिक संघर्ष और चुनौतियाँ छिप सकती हैं।
  • संभवतः इससे जनता की धारणा और नीतिगत निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।

पुराने डेटा सेट और विलंबित जनगणना

  • पुराने डेटा सेट का उपयोग GDP की गणना में प्रमुख चिंताओं में से एक है, जो वर्तमान आर्थिक परिदृश्य को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, जनगणना के संचालन में देरी आर्थिक आकलन में संभावित अशुद्धियों में योगदान करती है।
  • उपयोग की जाने वाली तकनीकों द्वारा जटिल और गतिशील आर्थिक परिदृश्य को सटीकता से प्रतिबिंबित किये जाने को लेकर चिंताएँ व्याप्त हैं, इससे विकृत GDP अनुमान प्राप्त होते हैं।

सरकारी हस्तक्षेप का आरोप

  • GDP आँकड़ों की गणना और जारी किये जाने की प्रक्रिया में सरकारी हस्तक्षेप संबंधी आरोप देखने को मिले हैं।
  • विशेषज्ञों को चिंता है कि राजनीतिक प्रभाव का आर्थिक डेटा के प्रस्तुतिकरण पर प्रभाव पड़ सकता है, ऐसे में यह इसकी सटीकता तथा विश्वसनीयता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

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