शुक्र. मई 17th, 2024

दूरसंचार विधेयक में ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (IBC) शुल्क माफ़ी प्रावधान ख़त्म किया गया।वित्त कॉर्पोरेट मामलों और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों की आपत्तियों के मद्देनजर दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने दूरसंचार विधेयक के मसौदे से दूरसंचार ऑपरेटरों के दिवालियापन और लाइसेंस शुल्क के भुगतान में चूक से संबंधित प्रावधानों को हटाने का फैसला किया है।मंत्रालयों ने कहा था कि दूरसंचार विभाग (DoT) उन विषयों पर कानून नहीं बना सकता जो पूरी तरह से उसके क्षेत्र में नहीं आते हैं और सरकार के राजस्व पर प्रभाव डालते हैं।विधेयक के मसौदे में एक प्रावधान में कहा गया था कि किसी दूरसंचार सेवा प्रदाता के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही की स्थिति में कंपनी को सरकार को बकाया राशि का भुगतान करना होगा, अन्यथा कंपनी से  स्पेक्ट्रम वापस ले लिया जाएगा।यह दूरसंचार विभाग (DoT) के इस नीति के कारण एयरसेल और रिलायंस कम्युनिकेशंस का दिवालिया  समाधान वर्ष 2018 से मुकदमेबाजी में अटका हुआ है।

इसे क़ानून के रूप में रखने पर वित्त, कॉर्पोरेट मामलों और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालयों ने आपत्ति जताई है।दूरसंचार विभाग (DoT)  का तर्क यह है कि एक बार जब कंपनी स्पेक्ट्रम भुगतान में चूक करती है, तो लाइसेंस समझौते के अनुसार सरकार को डिफ़ॉल्ट कंपनी से स्पेक्ट्रम वापस लेने का अधिकार है।स्पेक्ट्रम डिफॉल्ट करने वाली कंपनी की संपत्ति नहीं है, बल्कि एक पट्टे पर दी गई संपत्ति है।हालाँकि, स्पेक्ट्रम भी एक दूरसंचार सेवा फर्म के कामकाज की कुंजी है और अगर इसे छीन लिया जाता है, तो कोई भी  प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती है।दूसरा मुद्दा जिस पर आपत्तियां उठाई गईं, जिसके बाद दूरसंचार विभाग (DoT)  ने विधेयक से प्रावधान हटाने का फैसला किया, दूरसंचार कंपनियों को राहत उपाय प्रदान करने से संबंधित है।सितंबर 2021 में दूरसंचार विभाग (DoT) ने दूरसंचार कंपनियों को स्थगन की पेशकश की थी, जिसके तहत उन्होंने अपने समायोजित सकल राजस्व बकाया का भुगतान चार साल के लिए टाल दिया था।इसी तर्ज पर दूरसंचार विभाग (DoT)  ने एक प्रावधान किया था कि भविष्य में भी यदि सेवा प्रदाता वित्तीय तनाव में हैं, तो उसे विलंबित भुगतान करने, जुर्माना और ब्याज शुल्क माफ करने के मामले में राहत पैकेज देने की शक्ति होगी।यद्यपि वित्त मंत्रालय की ओर से यहां आपत्ति उठाई गई थी कि ऐसे उपायों से सरकार के राजस्व पर असर पड़ता है।इसलिए ऐसे मामलों की जांच मामला-दर-मामला आधार पर की जानी चाहिए और दी जाने वाली कोई भी राहत व्यापक कानूनी प्रावधान के बजाय अंतर-मंत्रालयी परामर्श और कैबिनेट की मंजूरी पर आधारित होनी चाहिए।दूरसंचार विभाग (DoT) ने बाद में स्पष्ट किया कि विभाग केवल संचार ऐप्स के विनियमन पर विचार करेगा।इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने भी हाल ही में आपत्ति जताई है कि ऐसे ऐप उसके डोमेन के अंतर्गत आते हैं।

दूरसंचार विभाग

  • दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय, भारत सरकार का एक विभाग है।
  • भारत के सामाजिक आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दूरसंचार अवसंरचना एक महत्वपूर्ण कारक माना गया है।
  • दूरसंचार विभाग दूरसंचार सेवाओं की तेजी से वृद्धि के लिए विकास संबंधी नीतियां बना रहा है।
  • यूनीफाईड एक्सेस सर्विस इंटरनेट और वीसेट सर्विस जैसी विभिन्न दूरसंचार सेवाओं को लाइसेंस प्रदान करने की जिम्मेदारी भी इसी विभाग की है।
  • अंतरराष्ट्रीय निकायों से घनिष्ठ समन्वय स्थापित कर रेडियो संचार के क्षेत्र में फ्रीक्वेंसी प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाता है।
  • यह विभाग देश में सभी प्रयोगकर्ताओं  को बेतार पारेषण की निगरानी एवं विनियामक उपाय भी लागू करता है।

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