केरल मंत्रिमंडल ने गृह विभाग द्वारा मेडिको-लीगल प्रोटोकॉल पर लाए गए नए दिशानिर्देशों को मंजूरी दी।मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केरल स्वास्थ्य देखभाल सेवा (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम 2012 में संशोधन किया जाएगा।इसके अलावा राज्य के प्रमुख अस्पतालों में पुलिस चौकी भी स्थापित की जाएगी।ध्यातव्य है कि महिला सर्जन की हत्या एक कथित ड्रग एडिक्ट द्वारा कर दी गई थी, जिसका वह इलाज कर रही थी।इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने एक मरीज द्वारा चाकू गोद कर एक डॉक्टर की हत्या को ‘व्यवस्थागत नाकामी’ का नतीजा करार दिया था।
मेडिको-लीगल प्रोटोकॉल में संशोधन के बिंदु
- जब व्यक्तियों (गिरफ्तार व्यक्तियों या रिमांड कैदियों) को चिकित्सकों के समक्ष चिकित्सा / चिकित्सा-कानूनी परीक्षा के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो डाक्टरों को सुरक्षा देनी होगी।
- पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को हिरासत में ले रहे हैं, उन्हें पर्याप्त जानकारी एकत्र करनी होगी ।
- व्यक्ति का बारीकी से निरीक्षण करना, व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक स्थिति क्या है और वह बीमार है या नहीं। वह मादक द्रव्यों का सेवन करने वाला है या नहीं इत्यादि ।
- यदि व्यक्ति को चिकित्सा परीक्षण के लिए सीधे अस्पताल ले जाया जाता है, तो हिरासत में लिए गए व्यक्ति की मानसिक/शारीरिक स्थिति की जानकारी पुलिस स्टेशन को दी जानी चाहिए।
- व्यक्ति को वहां ले जाने से पहले यही जानकारी अस्पताल के कर्मचारियों को भी दी जानी चाहिए।
- किसी व्यक्ति को चिकित्सीय परीक्षण के लिए ले जाने से पहले ब्रेथ एनालाइजर का उपयोग करना चाहिए।
- दिशानिर्देश कहा गया है कि पुलिस को यह सुनिश्चित होगा कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति के पास किसी भी प्रकार का हथियार या उपकरण नहीं होना चाहिए।
- मेडिकल जांच के लिए ले जाए जा रहे व्यक्ति के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिसकर्मी होने चाहिए।
- केरल हेल्थकेयर सर्विस पर्सन्स एंड हेल्थकेयर सर्विस इंस्टीट्यूशंस (हिंसा और संपत्ति को नुकसान की रोकथाम) अधिनियम 2023 के प्रावधानों के अनुसार एक घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए एवं आरोप पत्र को अदालत में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।