शुक्र. मई 17th, 2024

महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक गजट अधिसूचना जारी कर निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को कुछ शर्तों के तहत वंचित समूहों और कमज़ोर वर्गों के लिये अनिवार्य 25% प्रवेश कोटा से छूट दे दी है।बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (धारा 12.1(C) के अनुसार, गैर-सहायता प्राप्त स्कूल यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य हैं कि कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले 25% छात्र “आस-पड़ोस के कमज़ोर वर्ग तथा वंचित समूह” से संबंधित होने चाहिये।इस कदम के साथ कर्नाटक के वर्ष 2018 के नियम और केरल के वर्ष 2011 के नियमों का पालन करते हुए, महाराष्ट्र निजी स्कूलों को RTE प्रवेश से छूट देने में कर्नाटक तथा केरल के साथ शामिल हो गया है, जो शुल्क में छूट केवल तभी देता है जब कोई सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल पैदल दूरी के भीतर न हो, जो कक्षा 1 के छात्रों के लिये 1 किमी. निर्धारित है।

नया नियम वास्तव

  • नया नियम स्थानीय अधिकारियों को महाराष्ट्र के बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार नियम, 2013 के तहत वंचित समूहों तथा कमज़ोर वर्गों के 25% प्रवेश के लिये निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की पहचान करने से रोकता है, यदि सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल (जो सरकार से धन प्राप्त करते हैं) उस स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में हैं।
  • ऐसे निजी स्कूलों को अब 25% प्रवेश की आवश्यकता का पालन करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इन क्षेत्रों के छात्रों को सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश के लिये प्राथमिकता दी जाएगी।
  • अधिसूचना में कहा गया है कि यदि क्षेत्र में कोई सहायता प्राप्त स्कूल नहीं है, तो RTE प्रवेश के लिये निजी स्कूलों का चयन किया जाएगा और फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी, इसके अनुसार बाध्य स्कूलों की एक नई सूची तैयार की जाएगी।

राज्यों ने ऐसी छूटें क्यों पेश की

  • चूँकि माता-पिता को सरकारी स्कूलों के निकट निजी स्कूलों में बच्चों का नामांकन करने की अनुमति देने की राज्य की पूर्व नीति से सरकारी स्कूलों में नामांकन में भारी कमी हुई थी, यह देखते हुए कर्नाटक के राज्य कानून मंत्री ने वर्ष 2018 में कहा था कि RTE का मुख्य उद्देश्य सभी छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है।
  • कर्नाटक सरकार की राजपत्र अधिसूचना- 2018 वर्तमान में न्यायिक जाँच के अधीन है।
  • निजी स्कूलों और शिक्षक संगठनों ने नोट किया है कि राज्य सरकारें प्रायः इस कोटा के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों के शुल्क की प्रतिपूर्ति करने में विफल रहती हैं, जैसा कि RTE अधिनियम की धारा 12 (2) द्वारा अनिवार्य है जिसके लिये राज्य सरकारों को स्कूलों के प्रति बच्चे के खर्च या शुल्क राशि, जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति करनी होगी।

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