अप्रैल 2024 में अंतरिक्ष में एक धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स इन दिनों विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स के 21 अप्रैल 2024 को सूर्य के सर्वाधिक नजदीक पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही है।वर्तमान में धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स को बृहस्पति ग्रह (जुपिटर) के इर्द-गिर्द मंडराते देखा गया है।आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया कि ग्रहों की तरह ही धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। धूमकेतु परिक्रमा करते हुए अपने गंतव्य को लौट जाते हैं।
सूर्य के निकट आने पर इसकी चमक बढ़ती है
- धूमकेतु 12पी/पोंस-ब्रूक्स भी अब जैसे-जैसे सूर्य के निकट पहुंच रहा है इसकी चमक भी बढ़ती जा रही है। 21 अप्रैल 2024 को यह सूर्य के सर्वाधिक निकटतम बिंदु पर होगा। फिलहाल इसकी पूंछ भी लंबी होने लगी है, जिसकी लंबाई भी लाखों किमी में है।
धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स नग्न आंखों से भी नज़र आएगा
- धूमकेतुओं पर रिसर्च कर रहे दुनियाभर के विज्ञानियों के अलावा एस्ट्रो फोटोग्राफर इस पर नजर बनाए हुए हैं। हरे रंग का यह धूमकेतु बेहद आकर्षक लग रहा है। इसे दूरबीन के जरिए आसानी से देखा जा सकता है। यद्यपि यह नग्न आंखों से धुंधला नजर आ रहा है।
- 8 अप्रैल 2024 को पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान इसे दिन के समय भी देखने की होड़ लगी रही। जिस कारण दुनिया के कई देशों के लोग उत्तरी अमेरिका पहुंचे हुए थे।
धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स की विशेषता
- धूमकेतु पोंस-ब्रूक्स की विशेष बात यह है कि इसे सूर्य का चक्कर लगाने में इसे 71 वर्ष का समय लगता हैं।
- यानी हम इसे 71 साल बाद करीब से देख पर रहे हैं।
- सूर्य के नजदीक पहुंचने पर इसे देख पाना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि तब सूर्य की चकाचौंध रोशनी में यह समा जाएगा।
- एरीज के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय के अनुसार पोंस-ब्रूक्स को सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में दिखाई देगा।
- वर्तमान में यह बृहस्पति ग्रह के आसपास नजर आता है।
- यह सूर्य के सापेक्ष बृहस्पति के करीब है। यह इन दिनों पृथ्वी से लगभग 155 मिलियन किमी की दूरी पर है। जबकि 21 अप्रैल के बाद इसे देख पाना काफी मुश्किल होगा।
21 अप्रैल को पोंस-ब्रूक्स सर्वाधिक चमकीला होगा
- ‘पेरीहेलियन मार्ग’ – 21 अप्रैल से शुरू हो रहा है। सूर्य के निकटतम बिंदु 12पी/पोंस-ब्रूक्स को संदर्भित करता है जब यह सबसे चमकीला होगा।
- फिर 2 जून तक लगभग 232 मिलियन किलोमीटर तक पृथ्वी के करीब पहुंच जाएगा, जब यह होगा दुनिया के कई हिस्सों से दिखाई देगा, लेकिन यह धुंधला होगा।