गुरु. मई 9th, 2024

वैज्ञानिकों द्वारा मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग नामक जियोइंजीनियरिंग तकनीक का परीक्षण किया गया।इस विधि में समुद्री स्ट्रैटोक्यूम्यलस बादलों में सूक्ष्म लवणीय जल के कणों को डालने के लिये मशीनों का उपयोग करना शामिल है, जिसका उद्देश्य उनकी परावर्तनशीलता को बढ़ाना और पृथ्वी को ठंडा करना है।

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग

  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग एक वैज्ञानिक पहल है जिससे यह पता चलता है कि बदलते वायुमंडलीय कण (एरोसोल) बादल की परावर्तनशीलता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
  • वायुमंडल में छोटे एयरोसोल कणों को उत्पन्न करके शोधकर्त्ताओं का लक्ष्य बादलों की चमक को बढ़ाना है, जिससे सूर्य के प्रकाश का प्रतिबिंब बढ़ सके।
  • उचित आकार और सघनता वाले एरोसोल विशिष्ट प्रकार के बादलों की परावर्तन क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकते हैं।
  • यह घटना जहाज़ से उत्सर्जन या शिप एमिसन (जिसे “जहाज ट्रैक” के रूप में जाना जाता है) के चलते  चमकते बादलों की उपग्रह छवियों में दिखाई देती है।

मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग कार्यक्रम के लक्ष्य

  • बादलों पर एरोसोल प्रदूषण के वर्तमान प्रभावों को कम करने की बेहतर समझ विकसित करना।
  • यह जाँच करना कि क्या समुद्री नमक से बने एयरोसोल कणों का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये किया जा सकता है जबकि ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को सुरक्षित स्तर पर लाया जा सकता है।
  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग के विभिन्न कार्यान्वयनों के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिये एरोसोल उपयोग के लाभ, जोखिम एवं प्रभावकारिता को समझना।

एयरोसोल एवं जलवायु प्रभाव

  • वायु गुणवत्ता नियमों के विस्तार के कारण एरोसोल सांद्रता में गिरावट आ रही है, जिससे वायुमंडल में कण कम हो रहे हैं।
  • अधिकांश एयरोसोल कणों के कारण जलवायु पर शीतलन प्रभाव पड़ता है, इसलिये उनकी कमी से ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि होती है।
  • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्सर्जन से निकलने वाले एरोसोल ग्लोबल वार्मिंग के 0.5 डिग्री सेल्सियस की भरपाई कर रहे हैं, लेकिन वास्तविक शीतलन प्रभाव 0.2 डिग्री सेल्सियस से 1.0 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
  • बादलों पर एयरोसोल के प्रभावों के बारे में अनिश्चितता भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग के अनुमानों को लेकरअनिश्चितता की स्थिति उत्पन्न कर सकती है।

MCB से संबद्ध चुनौतियाँ एवं जोखिम

  • तकनीकी व्यवहार्यता: MCB में अत्यधिक ऊँचाई पर वायुमंडल में समुद्री जल का बड़े पैमाने पर छिड़काव शामिल है, जो छिड़काव हेतु उपकरणों के निर्माण, लागत, रखरखाव एवं संचालन के संदर्भ में अभियांत्रिकी जटिलताओं को प्रस्तुत करता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: MCB के कारण बादलों के प्रारूप और वर्षा क्षेत्रीय जलवायु एवं जल विज्ञान चक्रों को प्रभावित कर सकती है, जिससे संभावित रूप से शुष्कता या बाढ़ जैसे अनपेक्षित परिणाम हो देखे जा सकते हैं।व्यापक क्षेत्रों में बादलों में होने वाला परिवर्तन वायुमंडल, मौसम और वर्षा के परिसंचरण को प्रभावित करता है।मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग (MCB) और प्रदूषण एरोसोल दोनों ही बादलों के प्रारूप को परिवर्तित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ब्राइटनिंग वाले स्थान के नज़दीक और दूरस्थ दोनों क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
  • नैतिक मुद्दे: MCB प्राकृतिक प्रक्रियाओं में मानवीय हस्तक्षेप और इसके कार्यान्वयन एवं निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के बारे में नैतिक दुविधाओं को जन्म देता है।
  • नैतिक संकट: MCB नीति निर्माताओं और सामान्य जन के बीच आत्मसंतुष्टि (Complacency) की भावना उत्पन्न कर सकता है, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन की उनकी प्रतिबद्धता कम हो सकती है।

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