सोम. मई 20th, 2024

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने दोनों संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए नेपाल के महालेखा परीक्षक तोयम राया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।नेपाल की अपनी आधिकारिक यात्रा पर गए गिरीश चंद्र मुर्मू ने नेपाल के राजधानी  काठमांडू में दोनों देशों के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में इस  समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।समझौता ज्ञापन का उद्देश्य दो सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थानों (एसएआई) के बीच सहयोग बढ़ाना और लेखापरीक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना है।

सीएजी भारत में सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है जबकि नेपाल में नेपाल का ऑडिटर जनरल सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्था है।यह समझौता ज्ञापन दोनों देशों के बीच पेशेवर क्षमता को विकसित और मजबूत करने, सार्वजनिक क्षेत्र के लेखापरीक्षा  के क्षेत्र में ज्ञान का आदान-प्रदान करने और लेखापरीक्षा आयोजित करने में पारस्परिक रूप से सहायता करने के लिए एक मंच स्थापित करेगा।अपनी नेपाल यात्रा के दौरान सीएजी ने नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और वित्त मंत्री बरसमन पुन से भी मुलाकात की।मुर्मू ने सार्वजनिक क्षेत्र के लेखापरीक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर चर्चा करने के लिए नेपाली संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष श्री ऋषिकेश पोखरेल से भी मुलाकात की।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

  • डॉ. बी.आर. अम्बेडकर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को संविधान के तहत ‘सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी’ मानते थे। भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक लोक वित्त का संरक्षक होने के साथ-साथ देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली का नियंत्रक भी है।
  • इसे सार्वजनिक धन का संरक्षक भी कहा जाता है।  यह संघ एवं राज्यों की लोक निधियों से सभी व्ययों की लेखा परीक्षा करता है, इसलिए इसे  ‘लोक निधि का अभिभावक” भी कहा जाता है।

सीएजी की नियुक्ति एवं कार्यकाल

  • राष्ट्रपति भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करता है।
  • सीएजी अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) तक अपने पद पर रहता है।
  • सीएजी  कभी भी राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपकर अपना पद त्याग कर सकता है।

सीएजी का कार्य

  • सीएजी भारत सरकार के खातों का संकलन नहीं करता है। यह केवल भारत सरकार के खाते का लेखापरीक्षा करता है।
  • हालाँकि, सीएजी राज्य सरकार के खाता संकलित करने के साथ-साथ खातों का लेखापरीक्षा भी करता है।

इसके अलावा सीएजी  के निम्नलिखित कार्य हैं

  • भारत की संचित निधि, प्रत्येक राज्य की संचित निधि और प्रत्येक संघ शासित प्रदेश, जहां विधानसभा हो, से सभी व्यय संबंधी लेखाओं की लेखापरीक्षा करना ।
  • संघ तथा राज्यों की आकस्मिक निधि तथा लोक लेखाओं से किये जाने वाले सभी व्यय की लेखापरीक्षा करना
  • केंद्र और राज्यों की सभी प्राप्तियों का लेखा-जोखा का लेखापरीक्षा करना |
  • सभी सरकारी कंपनियों तथा किसी अन्य निगम या निकाय के खातों की लेखापरीक्षा करना |
  • वह राष्ट्रपति या राज्यपाल के निवेदन पर किसी अन्य प्राधिकरण और अन्य निकाय (जैसे स्थानीय निकायों) के लेखाओं की लेखापरीक्षा करना।
  • केंद्र और राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले सभी निकायों और प्राधिकरणों के खातों की लेखा परीक्षा करना।

सीएजी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट

भारत सरकार का लेखापरीक्षा

  • प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक भारत सरकार की लेखापरीक्षा पर रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता हैं।राष्ट्रपति यह रिपोर्ट संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर  रखवाते हैं।
  • सीएजी  को संसद की लोक लेखा समिति का मित्र दार्शनिक और मार्गदर्शक माना जाता है।
  • सीएजी की  रिपोर्ट केंद्र सरकार के मामले में संसद की लोक लेखा समिति और राज्यों के मामले में राज्य विधानमंडल की लोक लेखा समिति को जांच के लिए प्रस्तुत की जाती है।

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