बुध. मई 1st, 2024

खदानों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन, उन्नत खनन प्रौद्योगिकी को अपनाने और आर्थिक उपलब्धियों के आधार पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचानने के लिए, कोयला मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2022 के लिए कोयला और लिग्नाइट खदानों की स्टार रेटिंग पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। स्टार रेटिंग नीति का लक्ष्य सात प्रमुख मापदंडों के आधार पर विभिन्न कारकों के आधार पर खानों का मूल्यांकन करना है, जैसे खनन संचालन, पर्यावरण-संबंधित पैरामीटर, प्रौद्योगिकियों को अपनाना, सर्वोत्तम खनन प्रथाएं, आर्थिक प्रदर्शन, पुनर्वास और पुनर्स्थापन, श्रमिक-संबंधित अनुपालन और सुरक्षा और संरक्षा।

प्रक्रिया में भाग लेने वाली खदानों को स्व-मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रना होगा तथा शीर्ष 10% प्रदर्शन करने वाली खदानों को एक समिति द्वारा किये गए निरीक्षण के माध्यम से पुनः मान्य किया जाएगा।जबकि शेष 90% खदानों को एक ऑनलाइन समीक्षा प्रक्रिया से गुज़रना होगा तथा अन्य सभी प्रतिभागी खदानों की समीक्षा कर मूल्यांकन में योगदान कर सकते हैं।यह मूल्यांकन कोयला नियंत्रक संगठन द्वारा किया जाएगा।फाइव स्टार से लेकर नो स्टार तक की रेटिंग दी जाएगी जिसमें प्रत्येक खदान की उपलब्धियों का व्यापक मूल्यांकन किया जाएगा।इसका उद्देश्य खदानों के बीच प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना एवं वैधानिक प्रावधानों के अनुपालन, उन्नत खनन प्रौद्योगिकी को अपनाने तथा आर्थिक उपलब्धियों के आधार पर उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को पहचानना है।

स्टार रेटिंग नीति का लक्ष्य सात प्रमुख मापदंडों के विभिन्न कारकों के आधार पर खानों का मूल्यांकन करना है, ये हैं:

  1. खनन कार्य
  2. पर्यावरण संबंधी मापदंड
  3. प्रौद्योगिकियों को अपनाना
  4. सर्वोत्तम खनन पद्धतियाँ 
  5. आर्थिक प्रदर्शन 
  6. पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन
  7. कार्यकर्ता-संबंधित अनुपालन और सुरक्षा एवं संरक्षा

कोयला

  • यह एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है जो तलछटी चट्टानों के रूप में पाया जाता है और इसे अक्सर ‘ब्लैक गोल्ड’ के रूप में जाना जाता है।
  • यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में लोहा, इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है। कोयले से उत्पन्न बिजली को ‘थर्मल पावर’ कहते हैं।
  • विश्व के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।
  • भारतीय कोयले में राख की मात्रा अधिक (35 से 45%) होती है और इसमें सल्फर की मात्रा लगभग 0.5% होती है, जबकि विश्व के अन्य हिस्सों में पाए जाने वाले कोयले में राख की मात्रा 15% होती है।

भारत में कोयले का वितरण

गोंडवाना कोयला क्षेत्र (250 मिलियन वर्ष पुराना)

  • भारत के लगभग 98% कोयला भंडार और कुल कोयला उत्पादन का 99% गोंडवाना क्षेत्रों से प्राप्त होता है।
  • भारत के गोंडवाना क्षेत्र से धातुकर्म ग्रेड के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता वाला कोयला प्राप्त होता है।
  • यह दामोदर (झारखंड-पश्चिम बंगाल), महानदी (छत्तीसगढ़-ओडिशा), गोदावरी (महाराष्ट्र) और नर्मदा घाटियों में पाया जाता है।

टर्शियरी कोयला क्षेत्र (15-60 मिलियन वर्ष पुराना)

  • इसमें कार्बन की मात्रा बहुत कम लेकिन नमी और सल्फर की मात्रा भरपूर होती है।
  • टर्शियरी कोयला क्षेत्र मुख्य रूप से अतिरिक्त प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तक ही सीमित है।
  • प्रमुख क्षेत्रों में असम, मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग की हिमालय की तलहटी, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल हैं।

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