शुक्र. मई 17th, 2024

22वें विधि आयोग ने 2 फरवरी, 2024 को सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान से निपटने के लिए कानून में महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की है।विधि आयोग ने “सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की रोकथाम पर कानून की समीक्षा” शीर्षक से अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी है।मुद्दे की गंभीरता और देश के राजस्व को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए विधि आयोग ने इस मुद्दे को स्वत: संज्ञान में लिया था।इस रिपोर्ट में सबूत को बदलने से लेकर क्षतिग्रस्त सार्वजनिक संपत्ति के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माना लगाने तक के बारे बताया गया है।

284वीं रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में शामिल लोगों को उनके द्वारा किए गए नुकसान के बराबर धनराशि वसूलने  के बाद ही जमानत मिलनी चाहिए।
  • आयोग ने ‘सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984’ में संशोधन करने की सिफारिश की है।

इसने सार्वजनिक संपत्ति को जानबूझकर किए जाने वाले नुकसानसे निपटने के लिए निम्नलिखित प्रकार से नए कानून बनाने की भी सिफारिश की –

  • एक अलग कानून बनाकर
  • या भारतीय दंड संहिता, 1860 में संशोधन कर
  • या नव अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 में संशोधन कर

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित घटनाओं का आधार लिया है

  • वर्ष, 2013 का मुजफ्फरनगर दंगा
  • वर्ष, 2015 का जाट आरक्षण आंदोलन
  • वर्ष, 2016 का पाटीदार आरक्षण आंदोलन
  • वर्ष, 2018 का भीमा कोरेगांव विरोध
  • वर्ष, 2018 का CAA विरोधी आंदोलन
  • वर्ष, 2020 का कृषि कानून आंदोलन
  • वर्ष, 2020 में पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद हुई फैली हिंसा
  • वर्ष, 2023 में मणिपुर में हुई झड़पें

285वीं रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • आयोग ने आपराधिक मानहानि के अपराध को बरकरार रखने की सिफारिश की।
  • व्यक्तियों को दुर्भावनापूर्ण असत्य से बचाने के लिए खुले भाषणों को संतुलित करने की आवश्यकता है, जो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचाता है।
  • यह मामला अगस्त, 2017 में कानून मंत्रालय द्वारा कानूनी पैनल को भेजा गया था।
  • इस पैनल ने ‘सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत संघ’ में सुप्रीम कोर्ट के 2016 के फैसले को सही ठहराया।
  • इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मानहानि के अपराध की संवैधानिकता को बरकरार रखा था।
  • सुप्रीम कोर्ट कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार कुछ युक्तियुक्त प्रतिबंधों के अधीन है।
  • भारतीय न्याय संहिता ने अपराध के लिए सजा को सामुदायिक सेवा बनाकर पीड़ितों के हितों की रक्षा की है और वैकल्पिक सजा देकर दुरुपयोग की गुंजाइश को भी कम कर दिया है।

22वां विधि आयोग

  • 22वें विधि आयोग को 24 फरवरी, 2020 को अधिसूचित किया गया था।
  • इसका कार्यकाल 20 फरवरी, 2023 को समाप्त होना था।
  • 22 फरवरी 2023 को इसका कार्यकाल बढ़ाकर 31 अगस्त 2024 तक कर दिया गया।
  • इस आयोग के अध्यक्ष कर्नाटक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी हैं।

विधि आयोग

  • विधि आयोग एक गैर-सांविधिक निकाय है।
  • इसका गठन भारत सरकार द्वारा समय-समय पर किया जाता है।
  • पहले विधि आयोग का गठन वर्ष,1955 में तीन साल की अवधि के लिए किया गया था।
  • यह कानून और न्याय मंत्रालय के सलाहकार के रूप में काम करता है।
  • इसका मुख्य कार्य कानून संबंधी अनुसंधान और भारत में मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना है।
  • इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को नए कानून बनाने में सहायता प्रदान करती है।
  • विधि आयोग में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, एक सदस्य-सचिव और चार पूर्णकालिक सदस्य होते हैं।
  • इसमें अंशकालिक सदस्यों की संख्या पाँच से अधिक नहीं हो सकती।
  • सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश इस आयोग का अध्यक्ष होता है।

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