तमिलनाडु सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक मुकदमा दायर किया है जिसमें दावा किया गया है कि दिसंबर 2023 में चक्रवात मिचौंग तथा उसके परिणामस्वरूप राज्य में आई बाढ़ के बाद केंद्र ने राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से जारी होने वाली राशि रोक दी है।इससे पहले कर्नाटक सरकार ने भी सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि केंद्र सरकार राज्य में सूखा प्रभावित क्षेत्रों की सहायता के लिये आवश्यक आपदा राहत निधि प्रदान करने से इनकार कर रही है।
प्राकृतिक आपदा के दौरान राज्यों को सहायता कैसे दी जाती है
- प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंर्तगत स्थापित विभिन्न तंत्रों के माध्यम से सहायता प्राप्त होती है।
- यह कानून आपदा को गंभीर घटना के रूप में परिभाषित करता है, चाहे वह प्राकृतिक हो अथवा मानव निर्मित, जिससे जीवन की अत्यधिक हानि, मानवीय क्षति, संपत्ति की हानि अथवा समुदाय की मुकाबला करने की क्षमता से परे पर्यावरणीय गिरावट आदि की स्थिति उत्पन्न हो।
- इस अधिनियम के माध्यम से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMA) के साथ-साथ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना की गई।
- ये इकाइयाँ भारत में एक एकीकृत आपदा प्रबंधन प्रणाली के निर्माण के लिये ज़िला-स्तरीय अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य करती हैं।
- राज्यों को आपदा राहत के लिये धन दो स्रोतों- राज्य आपदा राहत कोष (SDRF) तथा राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (NDRF) से उपलब्ध होता है।
- ये कोष दिसंबर 2004 की विनाशकारी सुनामी के बाद आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (DMA) के अधिनियमन के साथ बनाए गए थे।
NDRF से राज्यों को निधि जारी कैसे की जाती है
राष्ट्रीय आपदा राहत कोष
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (NDRF) कर दिया गया।
- इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम ((DM Act)), 2005 की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
- इसका प्रबंधन किसी भी आपदा की स्थिति अथवा आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत एवं पुनर्वास के व्ययों को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- यह गंभीर प्रकृति की आपदा की स्थिति में SDRF को पूरक बनाता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
राज्यों को जारी की गई निधि
- NDRF दिशा-निर्देश: NDRF के गठन और प्रशासन के लिये जनवरी 2022 के परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक NDRF के वित्तपोषण के लिये निधि निर्धारित की गई है।
- NDRF से सहायता का अनुरोध: ऐसे मामलों में जहाँ किसी राज्य के पास SDRF में पर्याप्त निधि का अभाव है और उसने अपनी क्षमता से परे राष्ट्रीय आपदा का अनुभव किया है, वह NDRF से सहायता का अनुरोध कर सकता है।
- स्थिति का मूल्यांकन: गृह मंत्रालय (MHA) या कृषि मंत्रालय स्थिति का मूल्यांकन करेगा और दिशा-निर्देशों में उल्लिखित एक निर्दिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए NDRF से अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता पर निर्णय लेगा।
- अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) का गठन: इस प्रक्रिया में प्रभावित क्षेत्रों का आकलन करने और यह सिफारिश करने के लिये कि क्या अतिरिक्त निधि आवश्यक है, MHA द्वारा एक IMCT का तत्काल गठन करना शामिल है।
- इसके बाद संबंधित केंद्रीय मंत्रालय के सचिवों से बनी राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की एक उप-समिति उपलब्ध निधि की मात्रा निर्धारित करेगी।
- उच्च-स्तरीय समिति: अंततः गृह मंत्री की अध्यक्षता में कृषि और वित्त मंत्रियों तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ एक उच्च-स्तरीय समिति प्रदान की गई सिफारिशों के आधार पर NDRF से निधि जारी करने को अधिकृत होगी।
राज्य आपदा राहत कोष क्या है
- SDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 48 (1) (a) के तहत किया गया है।
- इसका गठन 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- यह अधिसूचित आपदाओं की स्थिति में प्रतिक्रिया के लिये राज्य सरकारों के पास उपलब्ध प्राथमिक निधि है ताकि तत्काल राहत प्रदान करने के लिये इसका उपयोग किया जा सके।
- इसका ऑडिट हर साल भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा किया जाता है।
योगदान
- केंद्र सामान्य श्रेणी के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये SDRF आवंटन का 75% और विशेष श्रेणी के राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों (पूर्वोत्तर राज्य, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर) के लिये 90% का योगदान देता है।