रवि. मई 19th, 2024
  • नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) ने हाल ही में सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स को भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों के प्रभाव मूल्यांकन पर एक अध्ययन को मंजूरी दी है।
  • जीआई उन उत्पादों पर इस्तेमाल किया जाने वाला एक चिन्ह है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और उनमें उस उत्पत्ति के कारण गुण या प्रतिष्ठा होती है।
  • कानूनों के माध्यम से बौद्धिक संपदा की सुरक्षा से आर्थिक विकास, रोजगार और आय सृजन के संदर्भ में लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

नाबार्ड

  • नाबार्ड एक विकास बैंक है जो प्राथमिक तौर पर देश के ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु वित्त प्रदान करने के लिये शीर्ष बैंकिंग संस्थान है।
  • इसका मुख्यालय देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में अवस्थित है। कृषि के अतिरिक्त यह छोटे उद्योगों, कुटीर उद्योगों एवं ग्रामीण परियोजनाओं के विकास के लिये उत्तरदायी है।
  • यह एक सांविधिक निकाय है जिसकी स्थापना वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत की गई थी।

कार्य

  • नाबार्ड के कार्यक्रमों का उद्देश्य ग्रामीण भारत में विशिष्ट लक्ष्य उन्मुख विभागों (Specific Goal Oriented Departments) के माध्यम से वित्तीय समावेशन को सशक्त करना है जिसे व्यापक रूप में तीन शीर्ष भागों वित्तीय, विकास एवं निरीक्षण में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • यह ग्रामीण आधारभूत संरचना के निर्माण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • यह ज़िला स्तरीय ऋण योजनाएँ (district level credit plans) तैयार करता है ताकि उपरोक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने में बैंकिंग उद्योगों को निर्देशित एवं प्रेरित किया जा सके।
  • यह कोऑपरेटिव बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का निरीक्षण करता है और साथ ही उन्हें CBS प्लेटफॉर्म (Core Banking Solution) से जुड़ने में सहयोग करता है।

इतिहास

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास हेतु संस्थागत ऋण का महत्त्व सरकार के नियोजन के प्रारंभिक दौर से ही स्पष्ट हो जाता है।
  • इसी क्रम में वर्ष 1979 में तात्कालिक योजना आयोग के सदस्य श्री बी. सिवरामन की अध्यक्षता में भारत सरकार के आग्रह पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिये संस्थागत ऋण की व्यवस्था की समीक्षा करने हेतु एक समिति का गठन किया।
  • समिति द्वारा ग्रामीण विकास से जुड़े ऋण संबंधी मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने हेतु  संगठनात्मक उपकरण की आवश्यकता रेखांकित किया गया।
  • इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में नाबार्ड की स्थापना की गई।
  • इसकी आरंभिक पैड अप कैपिटल (Paid Up Capital) 100 करोड़ रुपए थी जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक एवं भारत सरकार की हिस्सेदारी 50:50 थी।

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